जांबाज आईपीएस दिनेश एमएन का नाम बड़ी शिद्दत व सम्मान के साथ लिया जाता है, उनकी बहादुरी व ईमानदारी के चर्चे आम हैं आज उन्होंने असली सिंघम के रूप में अपनी पहचान बनाई है !
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आज वे जिस मुकाम पर हैं उसके पीछे उनकी कुशल कार्यशैली, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, राष्ट्रप्रेम व परिवार का सपोर्ट है, लाखों दिलों पर राज करते हैं आईपीएस दिनेश एमएन
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✍🏼तिलक माथुर
केकड़ी_राजस्थान
राजस्थान में पुलिस की छवि कोई विशेष प्रभावशाली नहीं है, लेकिन इतनी बुरी भी नहीं है। यूं तो राजस्थान में कई अनगिनत पुलिस अधिकारी ऐसे हैं जिनकी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा व कुशल कार्यशैली की वजह से पुलिस की छवि आज अच्छी बनी हुई है। ये अलग बात है कि कुछ पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की वजह से पुलिस महकमा बदनाम है। हम आये दिन पुलिस की बदनामी के किस्से सुनते-देखते आये हैं मगर कुछ ऐसे अधिकारी व पुलिस के जवान ऐसे भी हैं जिनपर हमें नाज है। आज पुलिस की वजह से ही आमजन सुरक्षित है, अपराधियों में ख़ौफ़ है। मैं यह नहीं कहता कि केवल पुलिस में ही करप्शन है, ऐसे अन्य कई विभाग हैं जहां करप्शन इस हद तक है जिसकी आप और हम कल्पना भी नहीं कर सकते। बस वह लोगों को दिखाई नहीं देता, पुलिस तो केवल कुछ निजस्वार्थी अधिकारी कर्मचारियों की वजह से ही बदनाम है, मगर जब हम पुलिस के अच्छे अफसरों व जवानों की बात करें तो स्वतः ही हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा। आज मैं बात कर रहा हूं जांबाज पुलिस ऑफिसर आईपीएस दिनेश एमएन की ! आज देश के दबंग आइपीएस अधिकारियों की चर्चा चलती है तो उनमें आईपीएस दिनेश एमएन का नाम पहली लिस्ट में लिया जाता है। उनकी जांबाजी के किस्से तो कईयों ने सुने औऱ देखे ही हैं।
उल्लेखनीय है कि पुलिस ऑफिसर दिनेश एमएन उस शख़्सियत का नाम है जिन्होंने अपने जीवन में कर्तव्य को सर्वोपरि रखा जिनके सीने में दिल धड़कता है तो केवल राष्ट्रहित व उसके सम्मान के लिए। हालांकि मेरा उनसे ज्यादा मिलना तो नहीं हुआ मगर जब उनसे एक बार किसी समारोह में मिला तो उन्हें जितना सुना था उससे कई अधिक पाया। इतने कड़क ऑफिसर का दिल इतना नरम और खुशमिजाज होगा मैंने कल्पना भी नहीं की थी। आज वे जिस मुकाम पर हैं उसके पीछे उनकी कुशल कार्यशैली, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, राष्ट्रप्रेम व परिवार का सपोर्ट है, लाखों दिलों पर राज करते हैं आईपीएस दिनेश एमएन। खैर..उनके विषय में आज जब मैं गूगल पर पढ़ रहा था तो अपने आपको लिखने से नहीं रोक पाया। दिनेश एमएन की ईमानदारी के चर्चे तो हम सभी ने सुने हैं मगर उनकी ईमानदारी की वजह से उनके परिवार को कितना काफी संघर्ष करना पड़ा वो मैं शेयर करना चाहूंगा, जो कि एक मिसाल है और अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायक भी। सर्वविदित है कि आईपीएस दिनेश एमएन को सोहनराबुद्दीन एनकाउंटर वाले मामले में सात साल तक जेल में रहना पड़ा, इस दौरान उनकी धर्मपत्नी ने परिवार को संभाला और एक निजी कॉलेज में लेक्चरर की नोकरी कर अपने परिवार का भरणपोषण किया, हालांकि बाद में दिनेश मन सोहनराबुद्दीन एनकाउंटर वाले मामले में बरी हो गए सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो गया। आज के इस युग में इतना ईमानदार होना भी अपने आप में बहुत बड़ी बात है जो हर किसी के बस की बात नहीं। आज हम बात राज्य की जनता की करें तो हरेक की जुबां पर दिनेश एमएन का नाम आते ही फ़िल्म सिंघम के कुछ दृश्य आंखों के सामने घूमने लगते हैं। सिंघम फिल्म रिलीज होने के बाद उनका नाम लोग सिंघम के नाम से भी लेने लगे।
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी दिनेश एमएन का नाम आए तो लोग अपने आप में गर्व महससू करते है। उनसे जुड़ी कुछ बातों का भी मैं जिक्र करना चाहूंगा। यूं ही नहीं कहलाए दिनेश एमएन राजस्थान के “सिंघम”, जानें उनसे जुड़ी कई बातें। कर्नाटक से आने वाले दिनेश एमएन 5 अगस्त 2004 से 9 अप्रेल 2007 तक उदयपुर में जिला पुलिस अधीक्षक रहे, तब उदयपुर में अपराधी उनके नाम से घबराते थे, सोहनराबुद्दीन एनकाउंटर केस में दिनेश एमएन का नाम आने के बाद लोग सड़कों पर उतर आये और एमएन के साथ खड़े नजर आए, सब जानते थे कि एमएन का नाम इस मामले में घसीटा गया था खैर उन्हें जब इस मामले में बरी किया गया तो चारों ओर जश्न का माहौल था उनके हजारों प्रशंसकों ने अपने-अपने तरीके से खुशी का इजहार किया। दिनेश एमएन भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के एक जिम्मेदार आला अधिकारी हैं। दरअसल, दिनेश एमएन की छवि एक दबंग और ईमानदार आईपीएस ऑफिसर की रही है। अपने पुलिस करियर के दौरान उन्होंने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। कई बार अपनी जान पर खेलकर उन्होंने कई कुख्यात बदमाशों को सलाखों तक पहुंचाया है। वहीं एसीबी में रहते हुए भ्रष्ट तंत्र से जुड़े कई बड़े अधिकारियों पर भी उनकी गाज गिरी है। फिल्मों के दबंग पुलिस अफसरों की जांबाजी के किस्से की तर्ज़ पर उनकी रियल लाइफ में भी ऐसे कई वाकये हैं जो उन्हें एक ‘दबंग’ अफसर बनाते हैं। इनके करियर की सफलताओं को देखकर अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उनके नाम से ही अपराधी खौफ खाते हैं। गौरतलब है कि दिनेश एमएन ने दिल्ली-जयपुर राजमार्ग स्थित शाहपुरा सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट भारत भूषण गोयल को साढ़े तीन लाख रूपए के साथ ट्रेप किया। गोयल ने यह रकम आयुर्वेदिक औषधियों की फैक्ट्री लगाने के लिए एक उद्यमी से तय हुए 25 लाख रूपए की रिश्वत की पहली किस्त के तौर पर ली थी। वहीं आबकारी इंस्पेक्टर पूजा यादव को शराब की दुकान लगाने वाले अलॉटी से 40 हज़ार रूपए की घूस लेते रंगे हाथ ट्रेप किया। दिनेश एमएन की टीम ने पूजा यादव के घर से 5 लाख रूपए और दूसरे राज्यों से लाई गई शराब की 19 बोतलें बरामद कीं थीं।
इसी प्रकार जयपुर के मालवीय नगर इलाके में एक मकान के निर्माण की मंजूरी देने के लिए 70 हज़ार की घूस लेते एक दलाल और जयपुर नगर निगम के दो अधिकारियों को पकड़ा था। वहीं राजस्थान हाइकोर्ट ने दिनेश एमएन को हिंगोनिया गोशाला में चारा घोटाले की जांच की पड़ताल की जिम्मेदारी सौंपी। यहां से आठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया। इसी प्रकार जयपुर में जमीन की वैधानिक मंजूरी देने के लिए शिविर में हो रहे भ्रष्ट अफसरों पर शिकंजा कसा। यहां से जयपुर विकास प्राधिकरण के चार अधिकारियों को खुलेआम घूस मांगते पकड़ा गया। वहीं साल 2005 में सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में सुर्ख़ियों में बने रहे। दिनेश की गिरफ्तारी हुई और उन्हें जेल भेज दिया गया। सोहराबुद्दीन के साथ ही उसकी बीवी कौसर बी और साथी तुलसी प्रजापति जब मुठभेड़ में मारे गए तब दिनेश उदयपुर के एसपी थे। इसी प्रकार साल 2014 में जमानत पर रिहा हुए दिनेश एमएन को राजस्थान लघु उद्योग निगम के निदेशक के पद पर तैनात किया गया। हालांकि इस पद का पुलिस विभाग से कोई लेना-देना नहीं था। इसके करीब साल भर बाद एसीबी में रहते हुए उन्होंने राजस्थान के सबसे बड़े खान महाघूसकांड का पर्दाफ़ाश करने में अहम् भूमिका निभाई। इसमें प्रमुख सचिव (खदान) अशोक सिंघवी को गिरफ्तार किया गया। ये घूसकांड देश भर में सुर्ख़ियों में छाया रहा। इसी प्रकार करौली जिले में तैनातगी के दौरान कई डकैत गिरोहों का पर्दाफ़ाश किया। इस दौरान उनपर कई तरह के आरोप लगे। वहीं सवाई माधोपुर में कुख्यात डकैत राम सिंह गुर्जर को मौत के घाट उतारने में भी दिनेश एमएन का नाम सामने आया था। राम सिंह गुर्जर पर हत्या और अपहरण के दर्जनों मामले दर्ज थे। 2003 के दौरान झुंझुनू एसपी रहते हुए शराब माफियाओं और सट्टेबाज़ों पर नकेल कसी और पर कार्रवाई की। इस दौरान कई गिरोह का भंडाफोड़ करने में कामयाब हुए। 2004 में उन्हें फिर उदयपुर में दंगा नियंत्रण के लिए भेजा गया और केंद्र में प्रतिनियुक्ति की उनकी अर्जी खारिज हुई। ऐसे अनेक किस्से हैं जिनके बारे में चर्चा करते हुए शब्द खत्म हो जाएंगे मगर उनकी बहादुरी के किस्से खत्म नहीं होंगे ! आज जांबाज आईपीएस दिनेश एमएन का नाम बड़ी शिद्दत व सम्मान के साथ लिया जाता है, उनकी बहादुरी व ईमानदारी के चर्चे आम हैं, उन्होंने असली सिंघम के रूप में अपनी पहचान बनाई है यही वजह है कि वे लाखों दिलों पर राज करते हैं !