

भगवान महावीर जन्मोत्सव के अवसर पर अमर संदेश जियो और जीने दो के नारे से वातावरण गूंज उठा था। भगवान महावीर ने संदेश मुक और समस्त प्राणी रक्षा के लिए दिया था। पर आज के तारतम्य मैं देखे तो यह आम जनता की आवाज उठ रही है।
काश कुछ जिम्मेदार लोग इस नारे की गंभीरता समझे और आम आदमी की जिंदगी जीने लायक बनी रहे ऐसा वातावरण बनाए। हर अक्षम, कमजोर और आम व्यक्ति सत्ताधारी और पावरफुल व्यक्तियों से एक ही विनती कर रहे हैं आप तो जी रहे हैं हमें भी जीने दे। बदलते मौसम और वायरस की चपेट से जिंदगी मैं कई में उथल-पुथल मची हुई है आर्थिक असंतुलन बना हुआ है ऐसे में बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार, अधिकारों को लेकर तानाशाही, कई अफसरों द्वारा अपने आप को भगवान समझना, धर्मगुरु द्वारा धर्म प्रचार के बजाय दिखावे में ज्यादा खर्च कराना, आए दिन होने वाले भंडारे धार्मिक कार्यक्रम और आजकल तो राजनीतिक पार्टियों द्वारा चंदा वसूली। बढ़ती महंगाई, दामो में रातों-रात अतिवृद्धि यह भी एक तरह से लूट खसोट है।
जिसके पास पावर है अधिकार है वह मालदार बनते जा रहे। कैसे ? यह आयकर विभाग और सरकार को सोचना है।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)