-मुकेश पूनिया-
बीकानेर। जिले में पुलिस थानों की सीमाएं सालों से उलझी हुई है,ऐसे में कई दफा दुर्घटना या अपराधिक वारदात होने पर असमंजस की स्थिति कायम हो जाती है कि मौका स्थल कौनसे थाने में आता है। उदाहरण के तौर पर गंगाशहर और नया शहर थाने की सीमाएं इस कदर उलझी हुई है,इनमें मुरलीधर व्यास कॉलोनी की एक गली नयाशहर हल्के में आती है तो गली का दूसरा किनारा गंगाशहर हल्के की सीमा में आता है,इसी तरह रामपुरा बस्ती में भी बीछवाल और नयाशहर थाने की सीमाएं उलझी हुई है।

शहर का चौंखूंटी इलाका भी तीन थानों की सीमाओं में उलझा हुआ है,शहर के कई मौहल्ले ऐसे है जो कोतवाली थाने के ज्यादा नजदीक है लेकिन यह मौहल्ले नया शहर थाने हल्के की सीमा में आते है,ऐसे में कई बार अपराधिक घटनाक्रम के बाद पीडि़त लोग कोतवाली पहुंच जाते है जिन्हे बाद में नया शहर थाने की ओर रूख करना पड़ता है। सदर और व्यास कॉलोनी थाने की सीमाएं भी उलझी हुई है,पीबीएम होस्पीटल सदर थाने क की सीमा में आती है जबकि पीबीएम की मोर्चरी व्यास कॉलोनी हल्के में आती है। इसी तरह के ग्रामीण अंचलों के थानों की सीमाएं भी उलझी हुई है। आजादी के बाद से उलझी जिले के पुलिस थानों की सीमा विवाद को सुलझाने के लिये प्रदेश स्तर पर कई बार प्रस्ताव मांगे गये,बीकानेर जिला पुलिस के अधिकारियों ने प्रस्ताव बनाकर भेजें थे। लेकिन थानों की सीमाओं की समस्याओं का समाधान आज तक नहीं हुआ।

जानकारी के अनुसार करीब आठ साल पहले कांग्रेस की तत्कालीन सरकार के समय गृह विभाग ने पुलिस उपाधीक्षक का कार्य क्षेत्र एसडीएम के समान एवं थाने का कार्य क्षेत्र तहसील के राजस्व ग्राम किये जाने की तैयारी की थी,इसके लिये तमाम जिला मुख्यालयों से प्रस्ताव मांगे लेकिन प्रदेश की सत्ता बदलने के बाद यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चले गये। जानकारी रहे कि सीमाओं की उलझन के कारण पुलिस को मौका स्थल पर पहुंचने में खासी मशक्कत करनी होती है। वहीं तहसील के राजस्व ग्राम और थाने की सीमा के गांव में अंतर होने के कारण जिला प्रशासन एवं पुलिस को समन्वय में परेशानी आती है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सीमाओं का सही सीमांकन होने के बाद यह समस्या खत्म हो सकती है।