सदियों से, जब से मानव जाति ने एक संस्कृति अपनाई तब से उसने अपने अपने अनुसार रहन सहन, पहनने ओढ़ने का एक सलीका बनाया। यह अपने आप में एक आईडेंटिफिकेशन था। हम रहन सहन, तोर तरीके देखकर समझ जाते थे कि यह किस जाति, देश या सभ्यता से संबंध रखते हैं। समय बीतता गया और हम इस दौर में आ गए कि जहां कोई विशेष रहन सहन या सलीका जीवन का नहीं रहा एक मिक्स कल्चर हो गया। पहले गरीबी छुपाने के लिए फटी पेंट पर स्टिकर लगाकर पहनते थे आजकल अमीर लोग और सेलिब्रिटी लोग फटी पेंट पहन लेते हैं। पहले कपड़ा कम होता था तो हम छोटे कपड़े सिलाते थे। आजकल यह एक अलग ही फैशन हो गया बालों की कटिंग को लेकर देखो आप पहले आदिवासी लोग घर में कटिंग करते थे और आजकल शहर के कुछ नौजवान 200 – ₹500 देकर उस टाइप की कटिंग करवाते हैं। पहले राज कपूर साहब ऊंची पेंट पहनते थे और आजकल कमर से नीचे की पेंट का चलन हो गया। फैशन अच्छी चीज है लेकिन फैशन के नाम पर यह जो मजाक बना रखा है यह गलत है। इंसान का व्यक्तित्व और उसकी समझदारी का परिचय उसके रहन सहन से दिखता है। पर इन फैशन के मारे दीवानों को क्या कहें जो कुछ भी पहन लेते हैं कैसे भी रह लेते हैं, कुछ तो भी दिखते हैं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, वास्तुविद्)