जेएनयू की छात्र संघ की अध्यक्षा आइशी घोष समेत करीब 30 छात्र घायल

नई दिल्ली। दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में रविवार शाम हिंसा हुई इस हिंसा में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष पर भी हमला हुआ। यह हमला जेएनयू कैंपस के भीतर हुआ. टीवी रिपोर्ट्स के अनुसार नकाबपोश हमलावरों ने कई हॉस्टलों में जाकर हमला किया।
चश्मदीदों का कहना है कि जेएनयू कैंपस में 50 से ज़्यादा लोग घुस आए, जिन्होंने डंडे और लाठियाँ ले रखी थीं. अधिकांश ने अपने चेहरे पर कपड़े बांधे हुए थे। कैंपस में दाख़िल होते ही इन लोगों ने छात्रों पर हमला शुरू कर दिया। इस हमले में कई छात्र ज़ख़्मी हुए हैं। दिल्ली सरकार ने कहा है कि जेएनयू कैंपस में घायल हुए छात्रों के लिए सात एंबुलेंस मौक़े पर भेजी गईं।

दिल्ली पुलिस ने जेएनयू के मेन गेट पर भारी पुलिस दल तैनात कर दिए हैं। वहीं, जेएनयू के गेट के बाहर और आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर के बाहर इस घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जेएनयू प्रशासन ने कहा है कि नियमों का उल्लंघन करते हुए कैंपस के शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल को बाधित करने वालों को बख़्शा नहीं जाएगा।
जेएनयू ने कहा है कि अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस शिकायत दर्ज की जा रही है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने दिल्ली पुलिस के हवाले से कहा है कि जेएनयू कैंपस में फ़्लैग मार्च किया गया है और स्थिति नियंत्रण में है. वहीं, मानव संसाधन मंत्रालय ने जेएनयू रजिस्ट्रार से कैंपस की स्थिति पर तुरंत रिपोर्ट मांगी है।
गृह मंत्रालय ने ट्वीट किया है कि गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से जेएनयू हिंसा पर बात की है और उन्हें आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। गृह मंत्री ने संयुक्त पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी से इस मामले की जांच कराने के आदेश दिए हैं और जल्द से जल्द रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट किया है कि जेएनयू में जो हुआ उसकी तस्वीरें देखीं. स्पष्ट रूप से हिंसा की निंदा करते हैं। यह पूरी तरह से विश्वविद्यालय की संस्कृति और परंपरा के ख़िलाफ़ है।
उनके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि जेएनयू से दहला देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं, जिस जगह को मैं जानती हूं वो भारी बहसों और विचारों के लिए जाना जाता है, न कि हिंसा के लिए। इस हिंसा की मैं निंदा करती हूं। यह सरकार जो पिछले सप्ताह पहले भी कह चुकी है, वो विश्वविद्यालयों को सभी छात्रों के लिए सुरक्षित जगह बनाना चाहती है। एस. जयशंकर और निर्मला सीतारमण जेएनयू के पूर्व छात्र भी हैं। वहीं, हिंसक घटना के बाद जेएनयू के बाहर पहुंचे स्वराज पार्टी के नेता योगेंद्र यादव के साथ खींचातानी की गई।

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जेएनयू में हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उन्होंने सभी छात्रों से विश्वविद्यालय में शांति और उसका गौरव बरकार रखने की मांग की है।
सूत्रों के अनुसार जेएनयू से 18 लोगों को ट्रॉमा सेंटर लाया गया है जिनके सिर में चोट थी. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी घायलों से मिलने एम्स ट्रॉमा सेंटर भी पहुंचीं. उन्होंने कहा कि एम्स में वो ऐसे छात्रों से मिली हैं जिनके सिर में चोटें आई हैं और हाथ-पैर टूटे हैं। उनके बाद बीजेपी नेता और सांसद मनोज तिवारी और विजय गोयल भी एम्स पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह घटना दुखद और निंदनीय है, इसको राजनीतिक हवा देना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि घायल छात्रों को उपचार मिलना चाहिए और दोषियों को सज़ा होनी चाहिए।
विजय गोयल ने कहा कि जेएनयू में बहुत समय से फ़ीस वृद्धि और आदि के नाम पर राजनीति हो रही है. उन्होंने कहा, “वामपंथी दलों के छात्रसंघ इस तरह की राजनीति कर रहे हैं. छात्रों का रजिस्ट्रेशन करने नहीं दिया जा रहा और वामपंथी छात्रों ने वाई-फ़ाई कमरों पर क़ब्ज़ा कर लिया है. मैंने घायल छात्रों को देखा बहुत सारे छात्रों ने कहा कि उन पर हमला किया गया, कइयों की स्थिति दयनीय है।
जेएनयू के छात्रों का कहना है कि इन हमलावरों ने कैंपस में खड़ी कारें भी तोड़ी हैं। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष का जो वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है, उसमें उन्हें कहते सुना जा सकता है कि ‘मेरे ऊपर बर्बर तरीक़े से हमला हुआ है। हमलावर नकाबपोश थे। देखिए कैसे ख़ून निकल रहा है, मुझे बुरी तरह से मारा गया है।

जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित कुमार पांडे ने फ़ेसुबक पर अपनी पोस्ट में इस हमले का इल्ज़ाम भारतीय जनता पार्टी की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पर लगाया है। जेएनयू छात्र संघ ने भी कहा है कि ‘इस हमले के पीछे एबीवीपी के गुंडों का हाथ है.’ उनका दावा है कि एबीवीपी जेएनयू ने ना सिर्फ़ छात्रों, बल्कि प्रोफ़ेसरों पर भी हमला किया।
वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रेस रिलीज़ जारी कर ये दावा किया है कि इस हमले के पीछे लेफ़्ट विचारधारा वाले संगठनों (एसएफआई, एआईएसएफ और डीएसएफ) का हाथ है. एबीवीपी ने दावा किया है कि उनके संगठन के क़रीब 25 लोग घायल हुए हैं। दिल्ली पुलिस ने कहा है, “दो गुटों के बीच बीते दो दिनों से तनाव था. जेएनयू प्रशासन की अनुमति के बाद आज दिल्ली पुलिस कैंपस के भीतर गई है।
सोशल मीडिया पर जेएनयू के छात्रों ने जो तस्वीरें शेयर की हैं, उन्हें देखकर हॉस्टलों में हुई तोड़फोड़ का अंदाज़ा लगता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस हमले की निंदा की है। उन्होंने ट्वीट किया है, ‘जेएनयू में हिंसा की ख़बर सुनकर हैरान हूँ. छात्रों पर बर्बर हमला किया गया। पुलिस को तुरंत इस हिंसा को रोकना चाहिए और शांति बहाल होनी चाहिए. यह देश आगे कैसे बढ़ेगा अगर छात्रों को उनके यूनिवर्सिटी कैंपस में भी सुरक्षित नहीं रखा गया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, “जेएनयू में नकाबपोश हमलावरों का हमला, छात्रों और टीचरों को पीटा जाना, हैरान करने वाला है. सत्ता में बैठे फ़ासीवादी लोग बहादुर छात्रों से घबरा गए हैं. आज की हिंसा उनके डर का प्रतिबिंब है। भारत के पूर्व गृहमंत्री पी चिंदबरम ने कहा है कि जेएनयू जैसी यूनिवर्सिटी में इतनी बड़ी संख्या में नकाबपोश घुसते हैं और छात्रों पर हमला बोलते हैं. पुलिस क्या कर रही है? दिल्ली के पुलिस कमिश्नर कहाँ हैं?
सीपीआई (एम) नेता सीताराम येचुरी ने छात्र संघ अध्यक्ष ऐशी घोष का वीडियो ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, “ये वीडियो बताता है कि आरएसएस और बीजेपी इस देश को क्या बनाना चाहते हैं. पर हम उन्हें यह करने नहीं देंगे।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है। जेएनयू में जिस तरह नक़ाबपोश अपराधियों ने छात्रों और अध्यापकों पर हिंसक हमला किया है, वो बेहद निंदनीय है। इस विषय में तत्काल उच्च स्तरीय न्यायिक जाँच होनी चाहिए।