– डिलीवरी पार्टनर करते हैं प्राईवेट गाड़ियों का इस्तमाल।
जयपुर ( ओम दैया )। अब देश डिजिटल हो चला है। आज आम जनमानस को हर जरूरत का सामान आनलाइन उपलब्ध कराने का कार्य इन कम्पनीयों द्वारा किया जा रहा है। जैसे जैसे सारा लेने देन डिजिटल होता चला जा रहा है, वैसे ही अब चोरीयां भी डिजिटल होती जा रही है। यहां हम बात किसी फ्राड की नहीं बल्कि सरकार की आंखों में धूल झोंक रही उन डिजिटल कम्पनीयों की कर रहे हैं जो लगातार सरकार के परिवहन विभाग को हर माह करोड़ों का चूना लगा रहे है।
कोरोना काल से अपने व्यापार में अधिक रफतर पकड़ चुकीं कम्पनियां आज दवाई से लेकर राशन, मोबाइल से लेकर कार हर व्यक्ति को उनके घर तक उपलब्ध कराने का जिम्मा लेती हैं। अभी तक जो भी धोखधड़ी सामने आई वह सामान को लेकर होती थी। लेकिन पिछले कई सालों से खुद जोमैटो, स्वीगी, फिल्पकार्ट, अमेजोन जैसे कई आनलाइन डिलीवरी करने वाली कम्पनियां सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा रही हैं।
रोड़ पर आये दिन आप जोमेटो, स्वीगी, फिल्पकार्ट, अमेजॉन के डिलीवरी बॉय को देखते होगें। ये वही लोग है जन्हें कम्पनी ने सामान को ग्राहकों के घर तक पहुचाने के लिए रखा है। ये लोग किसी भी सामान की डिलीवरी पहुंचाने में स्वयं की गाड़िया उपयोग करते है। यह वह गाड़िया होती है जिन्हे परिवहन विभाग द्वारा सिर्फ पर्सनल कार्य के लिए उपयोग में लाया जाता है।
कम्पनी द्वारा लगातार सोशल मीडीया पर डिलीवरी पार्टनर के लिए विज्ञापन दिये जाते हैं। कार्य के लिए इच्छुक युवकों का चयन किया जाता है। चयन प्रक्रिया में कहीं भी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन को लेकर कोई बात नहीं की जाती है।
क्या है नियम –
परिवहन मंत्रालय द्वारा किसी भी व्यापारिक उपयोग में लाई जाने वाली गाड़ी के लिए पीली पट्टी वाली गाड़ी को उपयोग में लाया जाता है। इन गाड़ियों को खरीदते समय अधिक पैसे रजिस्ट्रेशन के लिए लिये जाते हैं।