-सुभाष गर्ग ने अधिकारी को फोन पर दिए निर्देश, पोस्टिंग न दी जाए
हरीश गुप्ता
जयपुर। सरकार के ‘मंत्री’ से ‘संत्री’ तक ट्रांसफर-पोस्टिंग में व्यस्त हो रखे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण भरतपुर जिले में देखने को मिला, जहां अधिकारी ने पोस्टिंग देने से इसलिए इनकार कर दिया कि मंत्री ने मना कर दी है।
एक और गौमाता लंपी से जान गंवा रही है, दूसरी और मंत्रियों और विधायकों का पूरा ध्यान ट्रांसफर-पोस्टिंग पर है।
जानकारी के मुताबिक कॉलेज शिक्षा की एक महिला का स्थानांतरण जैसलमेर से भरतपुर जिले में हुआ। वे ज्वाइन करने जाती कि अधिकारी ने उन्हें ज्वाइन करने से मना कर दिया। जब कारण पूछा गया तो पता चला कि मंत्री सुभाष गर्ग ने फोन पर ज्वाइन कराने के लिए मना कर दिया है।
महिला के पति (वरिष्ठ पत्रकार) ने इधर-उधर काफी कोशिशें की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सवाल खड़ा होता है, एक ही महिला को ‘काले पानी’ की सजा कब तक? सजा का _कारण आखिर क्या? क्या पोपा बाई का राज है?
जानकारी के मुताबिक सचिवालय के गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं, ‘अधिकारी नाम के रह गए हैं, इनकी चलती नहीं है।’ ‘…चलती तो एमएलए या पार्टी के हारे विधायकों की है। उनकी डिजायर के बिना किसी का ट्रांसफर नहीं होता।’ सवाल खड़ा होता है, क्या यह ‘पावरलैस’ अधिकारी हैं? राज्य में चुनाव को अब ज्यादा समय नहीं रह गया है, इस और ध्यान शायद किसी का नहीं जा रहा। कहीं ऐसा ना हो यही सिस्टम रहा तो डिजायर लिखने लायक ही नहीं रहे?