– रिपोर्टर-प्रशांत कुमार-

बिहार(सुपौल)-सरकारें अपराध कम करने के लिये योजनाएं शुरू करती रहती हैं। बिहार सरकार भी अपराध की दुनिया छोड़ मुख्यधारा में आने के इच्छुक लोगों को स्वरोजगार में मदद करने की योजना चलाती है। हालांकि रोजगार के इस सरकारी वादे पर अमल कर करीब डेढ़ दशक पहले हथियार त्यागने वाले कई लोग खुद को अब ठगा महसूस कर रहे हैं। उनके साथ समस्या है कि आपराधिक इतिहास के कारण उन्हें रोजगार मिलने में मुश्किलें होती हैं। ऐसे में सरकार की अपील पर आत्मसमर्पण करने वाले लोगों का कहना है कि सरकारी वादा पूरा नहीं किये जाने से वे मंझदार में फंस गये हैं।सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमंडल मुख्यालय के पशु अस्पताल में सोमबार को ऐसे ही आत्मसमर्पणकारियों ने धरना प्रदर्शन किया। आत्मसमर्पणकारियों ने कहा कि सन 2006 में कई अपराधी हथियार त्याग आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में जुड़े थे। सरकार ने स्वरोजगार का वादा किया था, पर 15 साल से अधिक बीत जाने के बाद भी सरकार ने अब तक अपना वादा पूरा नहीं किया।धरना प्रदर्शन के बाद अपनी समर्थित मांगो की ज्ञापन एसडीएम को सौंपा गया।इस दौरान सरकार द्वारा स्वरोजगार के लिये पूंजी, आवास योजना का लाभ एवं तमाम सरकारी सुविधाओं देने के वादे को लेकर चर्चा हुयी।आत्मसमर्पणकारी ने कहा कि आपराधिक इतिहास होने के कारण हम नौकरी करने में सक्षम नहीं हैं। हमें नौकरियां मिलना मुश्किल है। सरकार ने वादा तो किया था, पर अब तक वादा पूरा नहीं हुआ। हमारी कहीं सुनवाई भी नहीं हो रही।माले के जिला सचिव जयनारायण यादव ने बताया कि सरकार ने हमें ठगने का काम किया है। कोरोना के कारण सारे आत्मसमर्पणकारी दाने-दाने को मोहताज हो गये हैं। हम इसके लिये उग्र आंदोलन की योजना बना रहे हैं।प्रदर्शन में आत्मसमर्पणकारी संगमलाल मुखिया, उमेश शर्मा, भजन शर्मा, गुंजा सरदार, उपेंद्र गोइत, दिलीप सरदार आदि मौजूद रहे।