— केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया सतत प्रयास
बीकानेर । सम्भाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग एवं भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में वन्य जीव विषयक कार्यशाला का उद्घाटन हुआ। कार्यवाहक प्राचार्य डाॅ. ए.के.यादव ने बताया कि भारतीय वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिकों का एक दल बीकानेर में वन्य जीवों की गणना कर रहा है उसी के तहत सोमवार को डूंगर काॅलेज में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। दल के प्रभारी वन्य जीव वैज्ञानिक श्री सुतीर्थ दत्ता ने बताया कि बीकानेर के महाजन कोलायत तथा छत्तरगढ़ आदि क्षेत्रों में भ्रमण कर विभिन्न वन्य जीवों की संख्या तथा प्रजाति आदि का अध्ययन किया जावेगा। डाॅ. दत्ता ने कहा कि वर्तमान में वैज्ञानिकों का यह दल जैसलमेर जिले में गोडावन पक्षी के संबंध गहन शोध कार्य कर रहा है।
संयोजक डाॅ. प्रताप सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए घटती हुई वन्य जीवों की संख्या पर गहरी चिन्ता प्रकट की। डाॅ. प्रताप ने रेगिस्तान में पाये जाने वाले विभिन्न पक्षियों के बारे में विस्तार से अवगत कराया।
इस अवसर पर अपने उदबोधन में श्री रवि अग्रवाल ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री श्री अर्जुनराम जी मेघवाल के सतत प्रयासों से ही बीकानेर जिले एवं उसके आस पास के क्षेत्रों में वन्य जीवों की गणना की जा रही है।
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के डाॅ. अनिला छंगाणी ने बताया कि जैवविविधता को बचाये रखने से ही मानव जीवन की रक्षा हो सकेगी। डाॅ. छंगाणी ने कहा कि कैर कुमटिया सांगरी आदि ऐसी रेगिस्तान वनस्पतियां है जिनके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधकता क्षमता बढ़ती है। उन्होनें कोरोना जैसी महामारी का कारण जैव विविधता से छेड़छाड़ होना बताया।
प्राणीशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र पुरोहित ने प्रकाश डालते हुए कहा कि वन्य जीवों से प्रेम एवं उन पर दया करने की वर्तमान समय में महती आवश्यकता है। डाॅ. पुरोहित ने कहा कि वन्य जीवों से संबंधित कानूनों की युवाओं को जानकारी होना अति आवश्यक है।
कार्यक्रम में डाॅ. एच.पी.व्यास ने भी अपने विचार रख कर युवा शोधार्थियों में ज्ञान का संचार किया।
इस अवसर पर भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की तुनीशा, मोहिब, सौरभ, वरूण, तानिया, देवेन्द्र तथा विकास आदि युवा वैज्ञानिकों ने भाग लिया। डूंगर महाविद्याालय के प्राणीशास्त्र एवं वनस्पति शास्त्र के स्नातकोत्तर कक्षाओं के विद्यार्थियों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया।