बीकानेर। आलोचक डॉ. मुकुंद नारायण पुरोहित की पुस्तक ‘राजस्थानी संत-साहित्य को बीकानेर की देन’ भविष्य में होने वाले शोध-कार्यों को दिशा देने वाली महत्त्वपूर्ण कृति है इसमें अनेक ऐसे बिंदु और विषय है जिन पर शोध-ग्रंथ लिखे जा सकते हैं।
उक्त उद्गार प्रख्यात समालोचक एवं डूंगर महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. देवी प्रसाद गुप्त ने सरोकार संस्था द्वारा रविवार को नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम में आयोजित लोकार्पण समारोह में व्यक्त किये ।
डॉ गुप्त ने कहा कि उनके निर्देशन में शोधार्थी पुरोहित ने श्रमपूर्वक कार्य करते हुए संत साहित्य के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा कि आलोच्य पुस्तक में विविधवर्णी संत साहित्य के अनेक पक्षों का उद्घाटन हुआ है जिसमें अनेक संप्रदाय है किंतु सभी में अनेक समानताएं नजर आती हैं जो ईश्वर की अजेयता, महानता और सर्वव्यपकता को व्यंजित करती हैं।
मुख्य अतिथि महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर के पूर्व कुलपति डॉ. दाऊनारायण पुरोहित ने कहा कि लोकार्पित ग्रंथ में शब्दों के व्युत्पत्ति परक अर्थों की विशद विवेचना बेहद प्रभावशाली और उपयोगी है। इससे संत साहित्य के मूल मर्म का अवगहन सरलतापूर्वक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आलोचक डॉ. मुकुंद नारायण पुरोहित अद्वितीय मेधा के धनी हैं और विश्वास है कि भविष्य में भी वे हमें ऐसे अन्य ग्रंथ देकर अपनी साहित्य साधना को जारी रखेंगे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात व्यंग्यकार और कहानीकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि डॉ मुकुंद नारायण पुरोहित ने ‘राजस्थानी संत साहित्य को बीकानेर की देन ‘ पुस्तक में ऐसे अनेक ज्ञात-अज्ञात संतों की वाणियों को विशद शोध के साथ समाहित करते हुए इस विषय पर बेहतरीन कार्य किया है। इस पुस्तक का अध्ययन करने से हमें अनेक नई जानकारियों के साथ ही इस विषय को गंभीरता से समझने की दृष्टि भी विकसित होती है। ।
मुख्य वक्ता आलोचक-कवि डॉ. नीरज दइया ने कहा कि संत साहित्य में राजस्थानी और वीकानेर को हिंदी संत साहित्य परंपरा के साथ पूरी गहनता, विवेकपूर्ण और योजनाबद्ध ढंग से प्रस्तुत किया गया है । इस ग्रंथ को छोटा एनसाइक्लोपीडिया कहा जा सकता है जिसमें पाठकों को विविध विषयों की प्रामाणिक जानकारी मिलेगी।
आरंभ में स्वागताध्यक्ष कवि – कथाकार नवनीत पाण्डे ने कृति और कृतिकार का परिचय देते हुए इस शोध कार्य को विशिष्ट बताया ।
प्रसिद्ध आलोचक और महारानी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ उमाकांत ने बीकानेर की साहित्यिक शोध परम्परा में इस कृति के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सन्त साहित्य पर इस तरह के खोजपूर्ण शोध कार्य कम ही हुआ है ।
लोकार्पण समारोह में लेखक डॉ. मुकुंद नारायण पुरोहित ने डॉ. शिवकुमार भनोत, कमल रंगा, नवनीत पाण्डे, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत,आत्माराम भाटी, निर्मल रांकावत, ब्रजेंद्र गोस्वामी, कासिम बीकानेरी आदि को अपनी पुस्तक भेंट कर सम्म्मान किया।
लोकार्पण समारोह में डॉ. सोममनारायण पुरोहित, डॉ ओम नारायण पुरोहित, डॉ रमेश नारायण, मोईनुद्दीन कोहरी, चंद्रशेखर जोशी, डॉ मोहम्मद फारूख चौहान, डॉ. यज्ञेश नारायण पुरोहित, श्याम ओझा, नंद किशोर सोलंकी, अजीत मोदी, डॉ बालनारायण पुरोहित समेत अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन कवि – कथाकार राजेंद्र जोशी ने किया।

You missed