– राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ा
– अहमद जलाली बन सकते हैं अंतरिम प्रमुख
अफगानिस्तान, 15 अगस्त। अफगानिस्तान में बड़ा सियासी संकट खड़ा हो गया है। तालिबान ने आज देश पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए हैं। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के अनुसार, अशरफ गनी के ताजिकिस्तान जाने की सूचना है। आंतरिक मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश से ताजिकिस्तान के लिए रवाना हो गए हैं। उपराष्ट्रपति सालेह के भी अफगानिस्तान छोड़ने की खबर है। वहीं काबुल रात नौ बजे से नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। टोलो न्यूज के अनुसार, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद का कहना है कि लूट और अराजकता को रोकने के लिए उनकी सेना काबुल के कुछ हिस्सों में प्रवेश करेगी और उन चौकियों पर कब्जा कर लेगी जिन्हें सुरक्षा बलों ने खाली करा लिया है। शहर के लोग हमारे शहर में आने से घबराएं नहीं।
अपने नागरिकों को निकालने में जुटे कई देश
दूसरी तरफ कई देश अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को निकालने में लगे हैं। भारत ने भी अपने नागरिकों को वापस लाने के लिए एक विशेष विमान भेजा था। आज काबुल से 129 यात्रियों को लेकर एयर इंडिया का विमान AI244 दिल्ली पहुंच गया है। इससे पहले रविवार को तालिबान ने देश के सबसे बड़े शहरों में से एक नंगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद शहर को अपने कब्जे में ले लिया.
– पूरे विश्व में हड़कंप मच गया
तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा होते ही मानो पूरे विश्व में हड़कंप मच गया है। अलग-अलग देशों की सरकारें अब अफगान में रह रहे अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के प्रयास में जुट गईं हैं। भारत के भी कई लोग वहां फंसे हुए हैं। आज करीब ढाई सौ लोगों को भारत लाया जा चुका है। रविवार को काबुल से पहला विमान दिन में करीब दो बजे पहुंचा। दोपहर करीब दो बजे काम एयर के विमान से करीब 100 यात्री दिल्ली पहुंचे। इसके बाद एयर इंडिया के विमान से शाम सात बजे करीब 120 यात्री पहुंचे। 220 यात्री जब आइजीआइ एयरपोर्ट पर उतरे तो एक तरफ उनके चेहरे पर एक ओर जहां अफगानिस्तान से सुरक्षित निकल जाने का सुकून नजर आ रहा था तो दूसरी ओर तेजी से बदल रहे घटनाक्रम का तनाव भी दिख रहा था।
– अपनों को खोने का डर
अफगान नागरिक अपने घर वापस आने के घटनाक्रम से चिंतित हैं। दिल्ली के जंगपुरा में हिदायतुल्ला कहते हैं, “नेता भाग रहे हैं और नागरिकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मैंने अपने दोस्तों से बात की है जिन्होंने मुझे बताया कि तालिबान ने काबुल में प्रवेश किया है। हाल ही में इस युद्ध के कारण मैंने अपने चचेरे भाई को खो दिया है।” इसी तरह, अब्दुल काजीर कहते हैं, “मेरे रिश्तेदार हेरात, अफगानिस्तान में रहते हैं। वहां सब कुछ बंद है। कोई शांति नहीं है। महिलाओं और लड़कियों को बिना चादर पहने बाहर जाने की इजाजत नहीं है। हम आजादी चाहते हैं।”
दिल्ली में रहते हैं कई अफगानी शरणार्थी
पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर व द्वारका मोड़ इलाके में बड़ी संख्या में अफगानी शरणार्थी रहते हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जिनके रिश्तेदार अभी भी अफगानिस्तान में ही रहते हैं। वहां रहने वाले लोगों के लिए इनके मन में काफी चिंता है। रविवार को न्यू महावीर नगर स्थित गुरुद्वारा में इनकी बैठक हुई। इस दौरान चर्चा की गई कि वहां फंसे रिश्तेदारों को कैसे जल्द से जल्द दिल्ली लाया जाए।
अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे हालात के बीच वहां से लोगों का पलायन शुरू हो चुका है। लोग किसी तरह अफगानिस्तान को जल्द से जल्द छोड़ना चाह रहे हैं। रविवार को जब अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से दो अलग अलग विमानों में सवार होकर पहुंचे तो उनकी जान में जान आई।