-गहलोत की चुप्पी सभी के लिए चर्चा का विषय

जयपुर (हरीश गुप्ता)। तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो, क्या गम है जिसको छुपा रहे हो। गजल सम्राट रहे जगजीत सिंह की यह गजल आज गोविंद सिंह डोटासरा और अशोक गहलोत पर सटीक बैठ रही है। एक ज्यादा मुस्कुरा रहे हैं तो दूसरे बिल्कुल मौन हैं। एक प्रदेश की 18 प्रतिशत आबादी के घोर पक्षधर तो दूसरे सियासी जादूगर। चर्चाओं का बाजार ऐसा है जो किसी को छोड़ता नहीं है।
यह तो सभी जानते हैं कि पहले राजस्थान में कांग्रेस की सियासत अशोक गहलोत और सचिन पायलट के आगे घूमती थी। आज ले देकर डोटासरा के आगे घूमती नजर आ रही है। सियासत के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत ने आचार संहिता से ठीक पहले राहुल गांधी के खास भंवर जितेंद्र को बड़ा लाभ दिलाया। अब भंवर जितेंद्र के खास टीकाराम जूली को नेता प्रतिपक्ष बनवा कर एक तीर से दो निशाने साथ लिए। चर्चाएं हैं, ‘डोटासरा और पायलट दोनों इसी पद पर नजर टिकाए बैठे थे।‘
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं जोरों पर है, ‘मानेसर कांड के बाद जादूगर ने पायलट को प्रदेश में पनपने नहीं दिया।‘ ‘…फिलहाल तो प्रदेश से मानों देश निकाला ही दे दिया हो।‘ जादूगर पर पुत्र मोह की चर्चाएं तेजी से हो रही है। चर्चाएं हैं, ‘आने वाले दिनों में क्रिकेट की सत्ता भी उनके बेटे के हाथ से जाने वाली है।‘ ‘…वैसे भी ईडी चौंप गांव के आसपास की जमीन के बारे में जानकारी इकट्ठी कर चुकी है। पूर्व में वैभव गहलोत को बुला भी चुकी है। सवाल खड़ा होता है गहलोत इन दोनों चुप क्यों है? चर्चाओं की मानें तो, ‘बेटे का रोजगार बचाने के लिए मौन धारण किए हैं। वरना इंडिया गठबंधन के सदस्य होने के बाद भी नीतीश-सोरेन कांड हो गया, उनकी तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई?‘
अब बात करते हैं राज्य की 18 प्रतिशत आबादी वाली कौम के बारे में। जब 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने वाली थी तब डेगाना से रिछपाल मिर्धा का टिकट यह कहकर काटा गया कि दो बार हारे हुए हैं। वहीं उसी समय तीन बार के हारे बीड़ी कल्ला को टिकट दे दिया गया, जबकि चर्चाएं है, ‘चार बार के विधायक को मंत्री भी बनाना पड़ता।‘ ‘…इस बार के चुनाव में कमला बेनीवाल को झटका दिया, जबकि पिछले कार्यकाल में आलोक निर्दलीय होकर भी कांग्रेस के सच्चे सिपाही बनकर खड़े रहे।‘ वहां से मनीष यादव को टिकट दिया गया जो एबीपी से आए हुए हैं।
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं यह भी है, ‘18 प्रतिशत आबादी वाली कौम पर जादूगर की वक्र दृष्टि शुरू से ही रही है। आज जिंदगी और मौत से जूझ रहे रामेश्वर डूडी को आरसीए के चुनाव के दौरान स्कूटर पर बैठकर अपनी जान और इज्जत बचाने पड़ी थी और वहां से भागना पड़ा था। पिछली सरकार में इसी कौम के एक काबीना मंत्री को काम नहीं करने दिया और तो और उनके विभाग के सचिव 9 बार बदल दिए गए। कांग्रेस के नियमों में गली निकालने में भी वे माहिर है। पहले कहा गया उम्र दराजों को टिकट नहीं देंगे। वहीं गली निकालते हुए 84 वर्ष के हरिमोहन शर्मा, 80 साल के अमीन खां और 80 वर्ष के गुरमीत सिंह कुन्नर को टिकट दिया गया। टिकट वितरण में पायलट ने चाकसू से वेद प्रकाश सोलंकी वहीं गहलोत ने दूदू से बाबूलाल नागर और बगरू से गंगा देवी को टिकट दिलवाया, जबकि पार्टी के सर्वे में तीनों की हार थी। वही 18 प्रतिशत कौम वाले गोविंद सिंह डोटासरा ने चौमूं से डॉक्टर शिखा मील, फुलेरा से विद्याधर चौधरी और शेखावाटी व गंगानगर में कांग्रेस की जीत की धूम मचाई। चर्चाएं है, ‘इसी को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने एक्सीडेंटल प्रदेश अध्यक्ष को रेगुलर कर दिया। पायलट पूर्वी राजस्थान में 7 प्रतिशत वाले अपने वोट कांग्रेस को नहीं दिला पाए।‘ शायद यही कारण है कि डोटासरा सदन में ही नहीं हर जगह एग्रेसिव मोड पर है। चर्चाएं है, ‘राजस्थान में राज पलटने की परिपाटी है अगर ऐसा हुआ तो 2028 में डोटासरा सीएम की दौड़ में सबसे आगे हों।‘ वैसे भी प्रदेश में जाट मुख्यमंत्री की मांग वर्षों से चली आ रही है।