

– भारती भाई।
इस बार एकादशी ग्याहरस तिथि टूटने से दोनों दिन मनाई जा रही है कुछ लोग आज एकादशी मना रहे हैं कुछ कल सोमवार को मनाएंगे। देवउठनी एकादशी है इस दिन तुलसी व शालिग्राम का विवाह भी कराया जाता है खासकर जिन लोगों के बेटी नहीं होती वे तो अवश्य ही तुलसी को अपनी पुत्री मानकर शालिग्राम जी से उसका विवाह कराते हैं आज के दिन बाकायदा शादी जैसी सारी रस्म अदायगी की जाती हैं हिंदू शास्त्रों में यह मान्यता है कि शालिग्राम जी विष्णु के रूप हैं। मैं बताता चलूं की गंडक नदी में मिलने वाले काले पत्थर जो खासकर गोलाई लिए होते हैं उन्हें विष्णु का रूप यानि शालिग्राम मानकर पूजा जाता है। यह काला पत्थर गोल होने से धार्मिक आस्था है कि इसमें शंख चक्र गदा का मूल है यानि यह गोल होने से शक्ति के पुंज हैं इनका गोलाकार होना शंख चक्र गदा का भान कराता है और बताता है कि वही चुंबकीय शक्तियां शालिग्राम में निवास करती हैं निरंतर उसकी विधि विधान से पूजा अर्चना करने से मनुष्य में वही अलौकिक शक्तियां आने लगती हैं जो भगवान विष्णु के पास हैं । संभवतः इसीलिए शालिग्राम जी की वैष्णव लोग नित्य प्रतिदिन पूजा करते हैं। दूसरी तरफ तुलसी को वृंदा कहा जाता है जो भगवान कृष्ण को अति प्रिय थी संभवतः तुलसी के औषधीय गुणों के मध्य नजर ही भगवान कृष्ण ने ब्रज वासियों को तुलसी का महत्व समझाया उसे जंगल से घर के आंगन में ले जाकर स्थापित किया और वृंदावन यानि तुलसी का पूरा जंगल बसाया जो शारीरिक क्या स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो बताता है कि तुलसी के चारों तरफ जंगल होने चाहिए उसका मनुष्य ही नहीं अपितु शाकाहारी पशु भी सेवन करें जिससे उनके स्वास्थ्य में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रहे और किसी तरह का रोग न लगे। तुलसी का महत्व समझते हुए ही शायद यह व्यवस्था की गई कि जिस घर में तुलसी नहीं वह हिंदू का घर ही नहीं। सोचा जा सकता है तुलसी कितनी उपयोगी है यानि 24 घंटे तुलसी घर में होगी तो घर के सभी लोग उसका इस्तेमाल करेंगे और तुलसी के इस्तेमाल से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती रहेगी किसी तरह का कोई रोग पास नहीं आएगा। तुलसी के लिए माना जाता है कि वह ऑक्सीजन प्लांट है जो 24 घंटे ऑक्सीजन देता है घर के आंगन में ऑक्सीजन प्लांट लगा होगा तो पूरा घर ऑक्सीजन से परिपूर्ण रहेगा यह अपने आप में एक वैज्ञानिक तथ्य है जिसको कभी भी जांचा परखा जा सकता है। एकादशी ग्यारस के दिन औषधीय गुणों से परिपूर्ण तुलसी का शालिग्राम जी से विवाह कराने का औचित्य भी पूरी तरह वैज्ञानिक प्रतीत होता है कि तुलसी का सेवन करते रहो और नियमित भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप की साधना करते चलो यानि शरीर में पूरी तरह प्रतिरोधक क्षमता होगी तो शरीर साधन के अनुकूल रहेगा और उसे नियमित शालिग्राम जी के माध्यम से चुंबकीय केंद्र गोल काले पत्थर स्वरूप विष्णु की साधना करते करते हम शक्तिपुंज बन सकेंगे। इसी धारणा के मध्य नजर तुलसी शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है यानि संकल्प लिया जाता है कि तुलसी व शालिग्राम जी को हम जीवन भर साथ रखेंगे उनके महत्व को समझेंगे और पूरी तरह शास्त्रोक्त धर्माचरण करेंगे।
