– हुआ स्वर्ण एवं रजत कलशो से श्रीजी का कलशाभिषेक और अष्ट द्रव्यों से पूजन
-किंचित भी पर पदार्थ स्वीकार नही करना ही उत्तम आकिचन धर्म – आचार्य सौरभ सागर

जयपुर। राजधानी के दक्षिणी भाग स्थित प्रताप नगर सेक्टर 8 शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आचार्य सौरभ सागर महाराज के 29 वें वर्षायोग के अंतर्गत दसलक्षण पर्व के नवें दिन बुधवार को ” उत्तम आकिचन धर्म पर्व ” मनाया गया और गुरुवार को दसलक्षण पर्व का अंतिम दिवस ” उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म ” के रूप में मनाया जायेगा। साथ ही 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपुज्य स्वामी का मोक्ष कल्याणक पर्व एवं अनंत चतुर्दशी पर्व भी मनाया जायेगा। गुरुवार को जयपुर सहित देशभर के जैन मंदिरों में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की शुरुवात प्रातः 6.15 बजे से चौबीस तीर्थंकर भगवानों के स्वर्ण एवं रजत कलशों से कलशाभिषेक एवं शांतिधारा कर प्रारंभ होगी। इसके पश्चात जैन मंदिरों में 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी का अष्ट द्रव्यों से पूजन कर जयमाला अर्घ का गुणगान करते हुए निर्वाण लड्डू चढ़ाया जायेगा। प्रताप नगर में आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य ने 12 किलो का निर्वाण लड्डू चढ़ाया जायेगा। इस दौरान प्रातः 7.15 बजे से उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म और अनंत चतुर्दर्शी के अवसर पर चौबीस तीर्थंकर भगवानों का पूजन किया जायेगा। इस बीच प्रातः 8.30 बजे आचार्य सौरभ सागर महाराज के मंगल प्रवचन होगे।

बुधवार को आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में दशलक्षण महापर्व के नवें दिन ” उत्तम आकिंचन धर्म ” का जयकरों के साथ गुणगान किया गया। इस अवसर पर प्रात: 6.15 बजे से मूलनायक शांतिनाथ स्वामी के स्वर्ण एवं रजत कलशों से अभिषेक किये गए एवं शांतिधारा की गई। प्रातः 8.30 बजे आचार्य सौरभ सागर महाराज ने ” उत्तम आकिंचन धर्म ” पर अपने उपदेश में कहा की “ मैं आकिंचन हुं, कुछ भी मेरा नहीं है परन्तु मोह के वश से यह मेरा हैं मै इसका हु। इस प्रकार की जो मूर्छा है उसको दुष्ट ग्रह की तरह मेरा कुछ नहीं है इस आकिंचन रूपी प्रसिद्ध मंत्र के सतत अभ्यास से जो नष्ट करते हैं वे विश्व के स्वामी सज्जनो के आश्चर्य कारी चारित्र का निरन्तर आचरण करते हैं। कुछ लोग काला सर्प के समान विषैले होते हैं, सर्प कॉचली तो छोडता है किन्तु विष नही छोडता। उसी प्रकार कोई दुर्वुद्धि बाला वस्त्र आदि का त्याग करता है किन्तु परिग्रह नहीं छोडते है। जैसे मगध सम्राट विम्बसार राजा श्रेणिक के जीवन का प्रसंग है। एक लंगोट का परिग्रह भी ऐलक जी को सोलहवे स्वर्ग के ऊपर नहीं जाने देता है। किंचित भी पर पदार्थ स्वीकार नही करना ही आकिचन है। “
प्रचार संयोजक सुनील साखुनियां ने बताया कि गुरूवार को दशलक्षण पर्व का दसवां और अंतिम दिन है गुरुवार को जैन श्रद्धालु श्रद्धा-भक्ति के साथ “ उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म “ और अनंत चतुर्दशी पर्व हर्सोल्लास के साथ मनायेगे, गुरुवार को जैन मंदिरों में अलग ही उत्साह देखने को मिलेगा, बड़ी संख्या में श्रद्धालु (बच्चे, युवक, युवतियां, महिला, पुरुष, बड़े-बुजुर्ग सभी मिलकर) श्रीजी का कलशाभिषेक, शांतिधारा कर पूजन विधान करेगे, अनत चतुर्द्र्शी के अवसर पर मंदिर के प्रांगन में चोबीस तीर्थंकर भगवानों का भव्य पूजन गीत – संगीत के साथ होगा, उसके बाद दोपहर मध्याह 12.15 बजे से पुनः चोबीस तीर्थंकर भगवानो का पूजन प्रारम्भ होगा. जो संध्या से पूर्व सम्पन्न होगा जिसके बाद श्रीजी का कलशाभिषेक, शांतिधारा का आयोजन होगा और श्रीजी की माल का आयोजन होगा। शुक्रवार को सभी त्यागी – व्रतियों का सामूहिक पारणा एवं सम्मान समरोह आचार्य श्री के सानिध्य में चातुर्मास समिति, समाज समिति एवं महिला मंडल द्वारा किया जायेगा।

अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया की गुरुवार को जैन धर्म के 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी का मोक्ष कल्याणक भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा। इस अवसर पर जयपुर के पदमपुरा में आचार्य चैत्य सागर महाराज, प्रताप नगर सेक्टर 8 में आचार्य सौरभ सागर महाराज, श्योपुर रोड़, प्रताप नगर में आचार्य विनीत सागर महाराज, बरकत नगर में आचार्य नवीन नंदी महाराज, आमेर में उपाध्यक्ष उर्ज्यंत सागर महाराज, मीरा मार्ग, मानसरोवर में मुनि संघ सानिध्य, जनकपुरी में आर्यिका विशेषमति माताजी, बिलवा में आर्यिका नंगमति माताजी, बगरू में आर्यिका भरतेश्वरी माताजी ससंघ सानिध्य में वासुपुज्य भगवान का निर्वाण महोत्सव, अनंत चतुर्दशी पर्व और उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म मनाया जायेगा।

-अनंत चतुर्दर्शी पर जैन प्रतिष्ठान रहेंगे बंद, जैन समाज रखेगा अवकाश

अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया की गुरुवार को अनंत चतुर्द्र्शी के अवसर पर सभी दिगम्बर जैन श्रद्धालु अपने सभी प्रकार के प्रतिष्ठान, व्यापार केन्द्र एवं नोकरी पेशा अवकाश पूरी तरह से अवकाश रखेगे। 75 फीसदी से अधिक नागरिक अनंत चतुर्दर्शी के अवसर पर निर्जल उपवास रखते है सामूहिक जिनेन्द्र आराधना कर पूरे दिनभर तीर्थंकर भगवानों का पूजन आराधना करते है। गुरुवार को सभी त्यागी वर्तियो का सामूहिक पारणा होगा और शुक्रवार को सभी जैन मंदिरों में सामूहिक क्षमावाणी पर्व मनाया जायेगा। इसके अतिरिक्त 1 अक्टूबर को राजस्थान जैन सभा द्वारा रामलीला मैदान पर क्षमावाणी पर्व का जयपुर स्तरीय आयोजन रखा गया है जिसमें आचार्य सौरभ सागर महाराज अपना सानिध्य देगे और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुख्य अतिथि सम्मिलित होगे।