-” सच्ची राह का निर्माण करना ही उत्तम सत्य धर्म ” – आचार्य सौरभ सागर

जयपुर। शनिवार को जैन मंदिरों में दशलक्षण महापर्व के पांचवे दिन ” उत्तम सत्य धर्म ” पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, इस अवसर पर प्रताप नगर सेक्टर 8 में आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य एवं पं संदीप जैन सेजल के निर्देशन में प्रातः 6.15 बजे से जिनालय में विराजमान भगवान शांतिनाथ स्वामी के स्वर्ण एवं रजत कलशो से कलशाभिषेक किये। जिसमें 100 से भी अधिक श्रावकों ने श्रीजी का मंत्रोच्चारण के साथ कलश किए और अंत में पुण्यार्जक श्रेष्ठि परिवार द्वारा आचार्य श्री के मुखारविंद विश्व में शांति की कामना करते हुए शांतिधारा की गई।

कार्याध्यक्ष दुर्गालाल जैन ने बताया की कालशाभिषेक और शांतिधारा के पश्चात प्रातः 7.15 बजे से मुख्य पांडाल में आचार्य सौरभ सागर महाराज के सानिध्य में दसलक्षण पर्व, उत्तम सत्य धर्म का संगीतमय विधानपूजन प्रारंभ किया गया और जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, नेवेघ, दीप, धूप, फल, अर्घ के अष्ट द्रव्यों के भावों में धारण कर कर्मों की निर्जरा के अर्घ चढ़ाए। भजन, भक्ति के साथ जिनेन्द्र आराधना की।

पूजन के दौरान आचार्य सौरभ सागर महाराज ने प्रातः 8.30 बजे सभा को संबोधित करते हुए अपने आशिर्वचनों में कहा कि ” सत्य की बुनियाद पर मोक्ष का महल टिका होता है, झूठ नींव पर तैयार होने वाले महल को धसने में देर नहीं लगती है, जिस प्रकार कभीसच्चाई छुप नहीं सकती, झूठे उसूलो से खुशबू आ नहीं सकती, कभी कागजो के फूलो से खुशबू नहीं सकती उसी प्रकार झूठे बोल बोलने से कामयाबी भी नहीं मिल सकती, सत्य होते हुए भी जो वचन अप्रिय हों वे असत्य की कोटि में आते है, कहा भी गया है कि – सत्य ब्रूयातु प्रियं ब्रूयातु नब्रूयातु सत्यमप्रियम। ”

“ अर्थात जिन सत्ये वचनो से दोस्तो की हिंसा हो उन वचनो को असत्य ही समझना चाहिए। हमेशा शास्त्रनुकूल वचन बोलने चाहिए, यदिस्वयं पालन न भी कर सकें तो भी वे ही वचन बोलने चाहिए जो सत्य हों। व्यवहार में बोले गए असत्य वचन भी सत्य ही होते है, जैसे कोई गेहूं पिसानेजाता है तो वह कहता है कि में आटा पिसाने जा रहा हु। “

“ असत्य बोलने वाले पर कोई विश्वास नहीं करता है और ना ही कोई साथ रखता है अतः सदैव सत्य की राह पर चलना चाहिए, यह असत्य केविरुद्ध सच्ची राह का निर्माण करता है, असत्य के खिलाफ स्थिर रहने की शक्ति प्रदान करता है इसे उत्तम सत्य धर्म कहा गया है। “

अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया की रविवार को जैन धर्म के अनुसार दशलक्षण पर्व का छठा दिवस ” उत्तम सयंम धर्म ” और ” सुगंध दशमी ” पर्व के रूप में श्रद्धा-भाव के साथ मनाया जायेगा। इस अवसर पर जयपुर के जैन मंदिरों में रविवार को सुबह से ही श्रद्धालुओ की भक्ति का जनसैलाब उमड़ने लगेगा, प्रातः 6.15 बजे से श्रावक श्रीजी के कलशाभिषेक, शांतिधारा कर पूजन करेगे और सुगंध दशमी के अवसर पर धूप खेरेंगे। साथ ही अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा में आचार्य चैत्य सागर महाराज, प्रताप नगर सेक्टर 8 में आचार्य सौरभ सागर महाराज, श्योपुर रोड़ जैन मंदिर प्रताप नगर में आचार्य विनीत सागर महाराज, बरकत नगर में आचार्य नवीन नंदी महाराज, आमेर में उपाध्यक्ष उर्ज्यंत सागर महाराज, बिलवा में आर्यिका नंगमती माताजी और जनकपुरी में आर्यिका विशेषमती माताजी के सानिध्य में ” उत्तम सयंम धर्म और सुगंध दशमी पर्व ” पर विशेष प्रवचन सभा होगी। सायंकालीन में जैन मंदिरों श्रीजी की मंगल आरती के साथ जगत में फैली असुगंध को हटाने के लिए श्रीजी के सम्मुख धुप खेरकर सुंगध फैलाई जाएगी। विभिन्न जैन मंदिरों में झांकियों का अवलोकन किया जायेगा।