दिखावा - OmExpress

कई लोग परंपरा, रीति रिवाज के नाम पर खूब दिखावा करते हैं। और समाज में स्वयं को ऊंचा दिखाने के लिए भी बहुत दिखावा करते हैं। बड़ी-बड़ी बातें करेंगे कोई धरातल भी नहीं होता पर बात आसमान की करते हैं लंबी लंबी फेंकते हैं। दिखावे के आदि मकान बनाएंगे तो बिना वजह का भड़कीला एलिवेशन या इंटीरियर पर खर्च करेंगे। शादी ब्याह का तो पूछो मत सब जानते है। अपने निजी जीवन में पैसैवर भी रोज भड़कीले जिंदगी नहीं जीते है पर जिसके पास पैसा नहीं है या कम है वह भडकिली जिंदगी जीने की दिन रात सोचता है और नकल करता है क्योंकि वह पिक्चरों में देखता है। असली रईस हमेशा दिल से नरम होंते है और जमीन पर रहकर शालीनता दिखाएंगे। और नकली कहता दिखेगा मै तो सिर्फ ब्रांडेड कपड़े, ब्रांडेड जूते पहनता हूं उसे यह नहीं मालूम कि ब्रांडेड के नाम पर अक्सर चीजें महंगी खरीदने में आती है। सबका अपना अपना शौक पैसा कमाना अच्छी बात पर उसका सदुपयोग और अच्छी बात होती है। दिखावा करके पैसा कमाना एक तरह से कपट है सच्चाई से बात होना चाहिए और ईमानदारी से रहना चाहिए। अभी दुनिया बहुत अलग दिशा में जा रही यहां दिखावा बहुत प्रचलन में आ गया है। भव्य बड़े बड़े शोरूम आलीशान लाइटिंग पैंट शर्ट जैसी चीज बेचने के लिए और मिठाई खाने जैसी चीज बेचने के लिए बन रहै है। कई भव्य शोरूम करीब-करीब रोजाना बड़े लजीज विज्ञापन रोज देते हैं सिर्फ आज छूट।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)