क्या यह संभव है कि देश के सभी परिवारों के पास कंप्यूटर, टेलीविजन, स्मार्ट फोन और लैपटॉप जैसी जरूरी चीजें तथा इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध हो जाएँ ।ऐसा सपना फिलहाल भारत में देखना नमुमकिन है।केरल में ऐसी ही अनुपल्ब्धता के चलते स्कूल जाने वाली एक बच्ची ने आत्म हत्या कर ली । बच्ची के पिता दिहाड़ी मजदूर है और वे बच्ची को ऑन लाइन क्लास के लिए इनमे से कोई भी उपकरण उपलब्ध करने में सक्षम नहीं थे ।कोरोना के इस दुष्काल के पहले और अब उसके बाद स्कूली शिक्षा का यह नवाचार भारत में एक बड़े वर्ग को दुर्लभ है और जिस सुलभ स्कूली शिक्षा की बात देश में होती है वो अब दुर्लभ और विभेदकारी हो जाएगी इसमें कोई संदेह नहीं है ।देश का एक बड़ा वर्ग मुश्किल से दो समय भरपेट भोजन जुटा पा रहा है|डिजिटल तकनीक और उपकरण से ज्यादा जरूरी पहले रोटी और फिर स्कूल अनिवार्य है
लॉकडाउन में विभिन्न गतिविधियों को जारी रखने में डिजिटल तकनीक और इंटरनेट का बहुत बड़ा योगदान रहा है।अब हमारे देश में और दुनिया में कई जगहों पर पाबंदियां हटायी जा रही हैं तथा रोजमर्रा के जीवन को सामान्य बनाने की कवायदें की जा रही हैं,लेकिन शिक्षा संस्थानों के सुचारू रूप से चलने में अभी कुछ और समय लग सकता है।लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई जारी रहे, इसके लिए हमारे देश में भी ऑनलाइन माध्यम का सहारा लिया जा रहा है। लेकिन सभी परिवारों के पास कंप्यूटर, टेलीविजन, स्मार्ट फोन और लैपटॉप जैसी जरूरी चीजें तथा इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे देश में डिजिटल वस्तुओं तथा इंटरनेट का तेज विस्तार हो रहा है तथा डेटा दरों और स्मार्टफोन के सस्ते होने से उपभोक्ताओं की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. आज ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या शहरी क्षेत्र से अधिक है. किंतु यह भी सच है कि हमारे बहुत से उपभोक्ता साधारण उपयोग के लिए ही इन चीजों का इस्तेमाल करते हैं और देश की आबादी को देखते हुए उनका अनुपात बहुत ज्यादा भी नहीं है| ऐसे में शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरत को अगर डिजिटल तकनीक पर निर्भर बना दिया जायेगा, तो करोड़ों गरीब, निम्न व मध्य आयवर्गीय परिवारों के बच्चे पीछे छूट जायेंगे|
शीर्ष के 20प्रतिशत घरों में ये आंकड़े क्रमश: २७.६ तथा ५०.५ प्रतिशत हैं।इसका साफ आर्थ यह निकलता है कि मध्य आयवर्ग के परिवारों में भी सभी के पास ऐसी सुविधा नहीं है कि उनके बच्चे ठीक से ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई कर सकें| इसमें एक और बड़ी समस्या बिजली की निर्बाध आपूर्ति की भी है।
प्रश्न यह है ऐसी स्थिति में क्या किया जाये ? रेडियो और टेलीविजन का सहारा लिया जाय।दूरदर्शन के साथ सभी निजी चैनलों पर कक्षा १ से १२ तक के सभी विषय के पाठ निशुल्क प्रसारित किये जाये । मनोरंजन के सर्व सुलभ साधन दुष्काल में शिक्षा के सरोकार को पूरा कर सकते हैं।