देश के भविष्य यानि बच्चों के सामने कोरोना ने संकट खड़ा कर दिया है ।जिस तरह से लॉक डाउन एकदम से लागू हुआ वैसे ही स्कूल एकदम बंद कर दिए गये। इससे देश के स्कूल दो श्रेणी में बंट गये सामर्थ्यवान स्कूल हाईटेक हो गये और सरकारी स्कूल बंद हो गये । अब तक सारे सरकारी टीचर आधे दिन कोरोना योद्धा होते हैं तो शेष आधे दिन उस आदेश का इंतजार करते थे, उन्हें स्कूल कब से जाना है ।केंद्र सकरार ने इस पहेली का हल खोजा है केंद्रीय गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि स्कूलों को खोलने के संबंध में राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा कोई भी निर्देश जारी नहीं किया है ।
इस सूचना के साथ मीडिया के विभिन्न आयामों से जारी खबरों को भी आड़े हाथों लिया गया है ।अपुष्ट और भ्रामक खबरों के प्रसारण और प्रकाशन के बारे में भी हिदायतें दी गयी हैं। ऐसे में शिक्षा संस्थाओं के खुलने को लेकर अपुष्ट समाचार प्रकाशित करना अनुचित है।देश भर में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।लॉकडाउन के चौथे चरण में जो छूट दी गयी है, उसमें संपर्क सीमित रखने,समूह नहीं बनाने, साफ-सफाई का ध्यान रखने आदि का ठोस नियमन है।जिसकी अवधि अब समाप्त होने जा रही है । इस चरण की समाप्ति के बाद भी सावधानी और सतर्कता की और ज्यादा जरूरत होगी। कई विशेषज्ञ यह चेतावनी भी दे चुके हैं कि वायरस के संक्रमण का चरम चरण आगामी दिनों में आ सकता है, ऐसे में स्कूल खोलकर बच्चों को किसी जोखिम में डालना कहीं से भी समझदारी की बात नहीं है ।जहां संभव है, वहां ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं और शिक्षक मार्गदर्शन के लिए उपलब्ध हैं।
वैसे घरों में माता-पिता की निगरानी में पठन-पाठन कर बच्चे स्कूल बंद होने की भरपाई कर भी रहे हैं इसमें कोई दो राय नहीं है कि स्कूली कक्षाओं की जगह ऑनलाइन कक्षाएं नहीं ले सकती हैं और स्कूल जाना बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है, लेकिन यह एक सच्चाई है कि हम एक ऐसी खतरनाक महामारी से जूझ रहे हैं, जिसका कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। बच्चों के स्वभाव को देखते हुए स्कूलों में मिलने-जुलने से रोकना और निर्देशों का सही ढंग से पालन कराना आसान काम नहीं होगा| दुर्भाग्य से अगर संक्रमण फैला, तो उसके दायरे में कई परिवार और मोहल्ले आ सकते हैं इसलिए फिलहाल स्कूलों को बंद रखना ही उचित है।
स्कूल का महत्व है पर उससे ज्यादा महत्व राष्ट्र के लिए अगली और सुरक्षित पीढ़ी तैयार करना भी है । दूरदर्शन के चैनलों और निजी चैनलों को इस आपदा में आगे आना चाहिए, सबसे ज्यादा संख्या और संक्रमण का निशाना कक्षा १ से ८ के बच्चे हैं उनके सुरुचिपूर्ण पाठ्यक्रम के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम प्रसारित करें ।सरकार को सारे निजी चैनलों को शैक्षणिक कार्यक्रम अनिवार्य रूप से निशुल्क प्रसारण के नियम बनाना चाहिए ।