— प्रतिदिन। -राकेश दुबे
बीते कल २६ दिसम्बर २०२० के “प्रतिदिन” में कोरोना के रूप बदलने के विषय में चर्चा की गई थी अनेक पाठको द्वारा इस विषय पर और जानकारी चाही गई है । विषय उन्नत जीव विज्ञान से जुड़ा है । मेरे संग्रह सन्दर्भ में उपलब्ध जानकारी आज के “प्रतिदिन” में साझा कर रहा हूँ।
म्यूटेशन (रूप बदलना) विषाणु के जीवन-चक्र का हिस्सा है। यह प्रक्रिया मानव के लिए वायरस को अनुकूल या प्रतिकूल बना देता है । कोरोना वायरस आरएनए वायरस है, इससे यह अपना रूप तेजी से दल सकता है। नए म्यूटेशन की पहली जानकारी कोविड-१९ जीनोमिक्स कंसोटियम (सीओजी- यूके) नामक ब्रिटिश समूह से मिली । इसका नाम बी.१.१ .७ रखा गया है। इसका पहला मामला २० सितंबर को ब्रिटेन के केंट में और २१ सितंबर को ग्रेटर लंदन में मिला । दिसंबर आते-आते पूरे ब्रिटेन में कोरोना के इस नए रूप के शिकार मरीज अस्पताल पहुंचने लगे। हालांकि, इसका ज्यादा प्रसार लंदन और दक्षिण व पूर्व इंग्लैंड में देखा गया है। कई अन्य देशों में भी इसके मरीज मिले हैं। कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन और अन्य जीनोमिक क्षेत्रों में तमाम तरह के बदलाव होने से कोविड-१९ वायरस इस रूप में बदल गया है।
ब्रिटेन के ‘न्यू ऐंड इमर्जिंग रेसपिरेटरी वायरस थ्रेट एडवाइजरी ग्रुप’ की मानें, तो वायरस का यह नया संस्करण महामारी के फैलने की दर, यानी ‘री-प्रोडक्शन’ नंबर को ०.९३ तक बढ़ा सकता है, क्योंकि अन्य रूपों की तुलना में इसमें संक्रमण-दर खासा तेज दिखी है। इस समूह की राय है कि अन्य रूपों की तुलना में यह ५० से ७० प्रतिशत तेजी से प्रसार करता है। बच्चे भी इस खतरे से अछूते नहीं हैं।
जबकि अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि जगह और वक्त वायरस के प्रसार के अनुकूल होने के कारण इंग्लैंड के दक्षिण-पूर्व में कोरोना मामले में उछाल आए हैं। वे इस रूप को पहले वाले म्यूटेशन डी६१४ जी की तरह ही मानते हैं, जिसने अमेरिका और यूरोप में तो लोगों को खासा संक्रमित किया था, लेकिन वहां से बाहर इसका प्रसार नहीं दिखा। इसी तरह, इस नए रूप से जुड़ा एक म्यूटेशन तो पूर्व में संक्रमण कम करते भी दिखा। लिहाजा, ब्रिटेन में कोरोना के जिस नए रूप का संक्रमण फैल रहा है, उसके जैविक गुणों के अध्ययन के बाद ही तस्वीर काफी हद तक साफ हो सकेगी।