मोदी सरकार में वित्त मंत्री के रूप में श्रीमती निर्मला सीतारमण अपने वित्त मंत्रालय का दूसरा बजट लगभग 1 फरवरी को पेश करने जा रही है | बजट में भले ही देर है पर उसकी तैयारी अभी से शुरू हो गई होगी | बजट की तैयारी के पूर्व हम वित्त मंत्री का ध्यान दिलाना आवश्यक समझते है ताकि इस बजट में सीनियर सिटीजंस के लिए कुछ कल्याणकारी योजना बाहर निकल सके | इस कारण इस बजट में सीनियर सिटीजंस को वित्त मंत्री से बहुत उम्मीदें हैं कि उन्होंने सीनियर सिटीजन की समस्या को इस बजट में पूरा ध्यान रखने की कोशिश की होगी | इस बात की सबसे ज्यादा किवो सीनियर सिटीजंस की आजीविका की समस्या को हल करने की कोशिश करेंगी| अभी तक के बजट में वित्त मंत्री ने उन वरिष्ठ नागरिकों के बारे में कुछ नहीं सोचा जो केवल जमा-पूंजी के ब्याज पर ज़िंदा रहते है और निराश्रित हैं|

मोदी सरकार के आने से पहले वरिष्ठ नागरिकों को जमा-पूंजी पर दस प्रतिशत ब्याज मिलता था जो सरकार का पिछला कार्यकाल पूरा होते-होते महज सात प्रतिशत रह गया |बैंक मे धरोहर पर ब्याज दर घटने का सबसे ज्यादा प्रभाव वरिष्ठ नागरिकों पर पड़ता है क्योंकि उनकी आमदनी का एक मात्र जरिया बैंकों से मिलने वाला ब्याज होता है. इससे वरिष्ठ नागरिकों की हालत पतली होती जा रही है| गत पांच साल से ब्याज दर लगातार कम हो रही है, जिसका नुकसान वरिष्ठ नागरिक उठाते आ रहे हैं| आगे और भी ब्याज दर घटने की संभावना लगती है| एसबीआई के अनुसार, करीब 4.1 करोड़ सीनियर सिटिजन के एफडी खाते में कुल 14 लाख करोड़ रुपये पड़े हैं यदि सभी बैंकों के सीनियर सिटीज़न को योग किया जाय तो प्रभावी सीनियर सिटीजन की संख्या बहुत बड़ी है । इस बारे में सरकार को केवल ब्याज की आमदनी वाले निराश्रित वरिष्ठ नागरिकों के हित के लिए बैंकों द्वारा दिये जाने वाले ब्याज की नीति मे थोड़ा बदलाव करना चाहिए |

वर्तमान में सभी बैंकों द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को मियादी जमा पर आधा प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज दिया जाता है| ये वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई विशेष लाभकारी सिद्ध नहीं होता| यदि इस अतिरिक्त ब्याज दर को तीन प्रतिशत कर दिया जाय तो वरिष्ठ नागरिकों को निरंतर बढती महंगाई में अपने भरण-पोषण में मदद मिल सकती है |अतिरिक्त ब्याज का बोझ बैंकों पर न डालकर प्रदेश और केंद्र सरकारें मिल कर अपने राजकोष से पूरा कर सकती है |
फिलहाल, लगातार ब्याज की दर घटने से वरिष्ठ नागरिकों को लगभग चार से पांच हजार रुपया महीना फर्क पड़ रहा है| देश में किसानों के बुरे दिन आने के कारण वे लगातार आत्महत्या कर रहे हैं| ऐसा न हो कि वरिष्ठ नागरिक भी अपना खर्चा पूरा न कर पाने के कारण ऐसा ही कोई रास्ता अपनाने पर मजबूर हो जायें

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