-मरीज को ना तो धूम्रपान और ना ही शराब की लत

  • ख़राब खानपान की वजह से मरीज को हुआ ब्रेन स्ट्रोक
  • मरीज को बाहर के अपौष्टिक भोजन को खाने की है आदत
  • अपौष्टिक भोजन से शरीर मे विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी हो जाती है, इस कमी की वजह से हृदय और मस्तिष्क में गंभीर रूप से खून का थक्का बनता है।

12 July 2022, गुरुग्राम: गुरुग्राम के पारस अस्पताल मे एक ऐसा दुर्लभ मामला देखने को मिला है जहां पर दिल्ली के एक 29 वर्षीय व्यक्ति को अपौष्टिक भोजन बहुत ज्यादा खाने की वजह से ब्रेन स्ट्रोक हुआ । रिपोर्टस के मुताबिक मरीज़ के शरीर में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की कमी थी, जिसकी वजह से उसे ब्रेन स्ट्रोक हुआ। यह केस इसलिए और भी ज्यादा दुर्लभ रहा क्योंकि पीड़ित ना तो शराब का सेवन करता है और ना ही धूम्रपान करता है। मरीज के ज्यादा अपौष्टिक भोजन की लत के कारण उसके मस्तिष्क में खून का थक्का बन गया लेकिन “गोल्डन ऑवर” के दौरान यानि कि स्ट्रोक के लक्षण दिखने के पहले ही घंटे के दौरान गुरुग्राम के पारस अस्पताल में पहुंचने पर मरीज़ की जान बच गई।

शुभम जैन (बदला हुआ नाम) को ब्रेन स्ट्रोक होने के खतरे को लेकर कोई अंदाजा नहीं था लेकिन अचानक शरीर में बायीं तरफ कमजोरी महसूस होने और चलने में परेशानी होने के कारण उन्हें गुरुग्राम के पारस अस्पताल के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में लाया गया। यहाँ पर एक्यूट स्ट्रोक की जांच की गयी और उन्हें स्थिर किया गया और फिर उन्हें अर्जेंट ब्रेन इमेजिंग के लिए शिफ्ट किया गया। ब्रेन एमआरआई से थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक के ख़तरे की पुष्टि के बाद थ्रंबोलाइज किया गया जिसके बाद डॉक्टरों ने शुभम की बारीकी से निगरानी की गई। जांच के दौरान यह भी पता चला कि शुभम का होमोसिस्टीन का लेवल 91 की सामान्य सीमा की तुलना में 116 है जो स्ट्रोक का कारण हो सकता है। होमोसिस्टीन शरीर द्वारा बना अमीनो एसिड होता है। अगर यह एसिड ज्यादा हुआ तो शरीर में खून का थक्का जल्दी बनने लगता है। इससे ब्लड वेसेस्ल ब्लॉक हो जाती हैं।

पारस अस्पताल, गुरुग्राम के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ रजनीश कुमार ने बताया कि, “जब मरीज को इमरजेंसी डिपार्टमेंट में लाए गए तो उनकी हालत बहुत नाजुक थी। उनका बिना देर किए इलाज शुरू किया गया, साथ ही उनके परिवार से सहमति लेने के बाद हमने अल्टेप्लेस के एक इंजेक्शन के साथ थ्रोम्बोलिसिस (रक्त के थक्के को तोड़ने की प्रक्रिया) शुरू की। ऐसा करने से उनकी हालत जल्दी स्थिर हो गयी। हाई होमोसिस्टीन के लेवल वाले अधिकांश व्यक्ति पर्याप्त फोलिक एसिड, विटामिन बी 6 या विटामिन बी 12 का सेवन नहीं करते हैं। इस वजह से खून का थक्का बन जाता है और यह थक्का हृदय या मस्तिष्क में भी बन जाता है। हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक ज्यादातर तब होता है जब व्यक्ति शराब का सेवन और धूम्रपान करता है, लेकिन इस केस ने यह भी बता दिया कि अपौष्टिक खानपान से भी ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है।”

पारस अस्पताल, गुरुग्राम की इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ श्वेता त्यागी ने बताया, “स्ट्रोक किसी को भी कभी भी, यहां तक कि सोते समय भी हो सकता है। स्ट्रोक आने के पहले कुछ घंटे यानी 3 से 4.5 घंटा विंडो पीरियड होता हैं, इस दौरान रोगी की इमेजिंग के बाद खून का थक्का तोड़ने के लिए दवा दी जाती है। थ्रोम्बोलिसिस स्ट्रोक को कम करने में मदद करता है और जीवित रहने की संभावना को बढ़ाता है। ऐसा होने से व्यक्ति का जीवन बच जाता है, उसमे विकलांगता और मौत के बीच अंतर कम हो जाता है। ऐसा देखा गया है बहुत ही कम लोग थ्रोम्बोलिसिस करने के समय के दौरान अस्पताल पहुंच पाते हैं। लोगों में स्ट्रोक को पहचानने और स्ट्रोक के लिए तैयार इमरजेंसी डिपार्टमेंट के पास जल्द से जल्द पहुंचने के लिए जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। जब जागरूकता रहेगी तो रोगी इस केस की तरह जल्दी से अस्पताल में पहुंचकर इलाज प्राप्त कर सकता है। इस केस मे रोगी स्ट्रोक आने के एक घंटे में अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंच गया था। समय से आने की वजह से हम उसकी जान बचा सके और वह बिना किसी विकलांगता के अस्पताल से डिस्चार्ज भी हो गया।”

आजकल 30 साल से कम आयु वर्ग के स्ट्रोक से पीड़ित युवाओं की संख्या बढ़ रही है। हर साल 18 लाख भारतीय इससे प्रभावित होते हैं, यानी हर 40 सेकंड में एक स्ट्रोक होता है। प्रभावित लोगों में से एक चौथाई 50 साल से कम आयु के हैं। 19 से 30 वर्ष की आयु वर्ग के स्ट्रोक पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत में स्ट्रोक से पीड़ित लगभग 30% व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है, जबकि 60 से 70 प्रतिशत लोग जिन्हें स्ट्रोक होता है, वे विभिन्न प्रकार की विकलांगता से पीड़ित हो जाते हैं।

किसी भी स्ट्रोक के लक्षण को पहचानने के लिए BEFAST को अमल मे लाया जा सकता है।

• इसमें B का मतलब चक्कर आना, यानि बैलेंस (संतुलित) ना हो पाना
• E का मतलब दिखने में समस्या होना
• F का मतलब चेहरे का भाव गिरना या चेहरे पर विचित्र भाव नज़र आना
• A का मतलब हाथ या पैर में कमजोरी होना
• S का मतलब बोलने में कठिनाई होना
• T का मतलब स्ट्रोक के लिए तैयार अस्पताल की इमरजेंसी में जल्द से जल्द पहुंचने का समय

अगर आपको स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में पता होगा तो आप इन लक्षणों के महसूस होने पर बिना देरी किये अस्पताल में जल्दी पहुंच सकते हैं। ऐसा होने से आप स्ट्रोक से जो विकलांगता या मौत होती है उससे बचा जा सकता है।