बीकानेर और नोखा के बाजारों में से अतिक्रमण हटाने, यातायात व्यवस्था सुधारने बाद बीकानेर जिले और संभाग के सभी जिला मुख्यालयों, शहर _कस्बों के बाजारों में अतिक्रमण स्वत: ही हटा लेवें। यह सच है कि प्रशासन की अनदेखी से नगर नियोजन के मानदंडों को लागू नहीं किया जाता। स्वायत्तशासी संस्थाएं और प्रशासन की गैर जिम्मेदारी से बाजारों में अतिक्रमण, यातायात व्यवस्था दुरुस्त का काम अंतिम सूची में रहता है। संभागीय आयुक्त डा. नीरज के पवन ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल किया है। इससे जन जीवन की तकलीफे कम हुई है। बीकानेर संभाग मुख्यालय स्थित के ई एम रोड, फड़ बाजार, जस्सूसर गेट और अन्य क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाने, यातायात व्यवस्था में सुधार के जो कदम संभागीय आयुक्त ने उठाएं उसकी भूरि भूरि प्रशंसा हो रही है। यातायात सुधरा हैं। जनता को राहत मिली है। कोटगेट और सांखला फाटक रेलवे क्रासिंग की भीड़ से निजात मिली है। फड़ बाजार बीकानेर का सबसे व्यस्तम बाजार हैं लोग शकुन महसूस कर रहे हैं। जिनके स्वार्थों पर चोट पहुंची है वे बेशक चूं चपट कर रहे हैं। इन प्रयासों का असर यह है की दबी जुबान में नेता भी नीरज के पवन की सराहना कर रहे हैं। नोखा में पवन के कदम रखने के साथ ही श्रीडुंगरगढ़, लूणकरणसर, खाजूवाला, श्री कोलायत बज्जू आदि में लोगों के कान खड़े हो गए हैं। संभाग के बाकी जिलों और कस्बों में के ई एम रोड पर हुए काम का संदेश गया है। वहां भी सुधार की बयार चल सकती है। दरअसल स्थानीय प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही, नगर पालिका, निगम और परिषद की गैर जिम्मेदाराना भूमिका से मुख्य बाजारों में अतिक्रमण बढ़ते हैं। यातायात बिगड़ता है। वेडिग नॉन वेडिंग व्यवस्था में घालमेल होता है। रेहड़ी और ठेले बढ़ जाते है। टेक्सी और बस स्टेंड बाधा बन जाते हैं। पार्किंग समस्या बन जाती है। दुकानदार बाहर सड़कों पर आ जाते हैं। कोई कहने वाला नहीं हो तो यह समस्या विकराल हो जाती है। जन जीवन के लिए दुरूह बन जाती हैं। संभागीय आयुक्त निर्लेप भाव से इन समस्याओं को ही ठीक कर रहे हैं। जनता उनका उपकार कैसे भूलेगी?