– पं. रविन्द्र शास्त्री लेख

माता महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है। सच्चे मन से भक्तों द्वारा की गई प्रार्थना माँ अवश्य स्वीकर करती हैं। महागौरी के नाम का अर्थ, महा मतलब महान/बड़ा और गौरी मतलब गोरी। देवी का रंग गोरा होने के कारण ही उन्हें महागौरी कहा गया।

-माता महागौरी का स्वरूप
देवी महागौरी की चार भुजाएँ हैं और वे वृषभ की सवारी करती हैं। वे दाहिने एक हाथ से अभय मुद्रा धारण की हुईं हैं, वहीं दूसरे दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएँ एक हाथ में डमरू तथा दूसरे बाएँ हाथ से वे वर मुद्रा में है।

-पौराणिक मान्यताएँ
पौराणिक मान्याताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए गर्मी, सर्दी और बरसात का बिना परवाह किए कठोर तप किया था जिसके कारण उनका रंग काला हो गया था। उसके बाद शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया जिसके बाद देवी का रंग गोरा हो गया। तब से उन्हें महागौरी कहा जाने लगा।

-ज्योतिषीय संदर्भ
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

– मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

– प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

– स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

-ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥

– स्त्रोत
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

– कवच मंत्र
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम्‌ घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥

– इस महा-संयोग

– ऐसे करें महागौरी माँ की पूजा
प्रातःकाल उठकर स्नान आदि कर के पूजा की शुरुआत करें।
अब एक लकड़ी की चौकी पर महागौरी देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
देवी महागौरी का मन में ध्यान करें और उनके सामने दीपक आदि जलाएं।
देवी की पूजा में सफ़ेद या पीले रंग के फूल का उपयोग ज़रूर करें।
इसके बाद महागौरी देवी की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी इत्यादि का भोग लगाएँ।
पूजा के बाद माँ की आरती करें और मंत्र पढ़ें।
मान्यता है कि यदि महागौरी देवी जी की पूजा मध्य रात्रि में की जाए, तो ये अधिक फलदायी साबित हो सकती है।
इस दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ होता है, इसीलिए 9 कन्याओं और एक बालक को बुलाएं और उनकी पूजा कर के उन्हें खाना खिलाएं, भेंट दें और उनका आशीर्वाद लें।

– शुक्र का कन्या राशि में गोचर
(23 अक्टूबर, 2020)

भौतिक सुखों का कारक माने जाने वाले शुक्र देव 23 अक्टूबर, शुक्रवार को सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर पृथ्वी तत्व की राशि कन्या में गोचर करेंगे और 17 नवंबर , मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर, कन्या से निकलकर अपनी स्वराशि तुला में प्रवेश कर जाएंगे। शुक्र देव अगले 25 दिनों तक कन्या राशि में ही विराजमान रहेंगे

उपरोक्त जानकारियों के साथ हम उम्मीद करते हैं कि नवरात्रि का आठवाँ दिन आपके लिए ख़ास होगा और देवी महागौरी की कृपा आपके सपरिवार के ऊपर बरसेगी।

नवरात्रि की अष्टमी की ढेरों शुभकामनाएँ!