

बिहार(सुपौल)- (कोशी ब्यूरों)-जिले के त्रिवेणीगंज प्रखंड क्षेत्र में ट्रायसम योजना के तहत लाभकारी स्वरोजगार मलवरी कोकून की खेती एवं रेशम कीट पालन से मलवरी कोकून उत्पादन कर गुजर-बसर करने वाले किसान विभागीय उदासीनता के कारण मायूस है। जिला में मलवरी कोकून उत्पादन के बढ़ावा देने हेतु शहतूत किसानों की हौसला आफजाई करते हुए तत्कालीन डीएम ने बघला गांव स्थित नॉडल केंद्र पर कहा था कि कठिनाईयों को सहन कर भी शहतूत की खेती कर मलवरी कोकून का उत्पादन करे। ताकि जिला मलवरी उत्पादन का बड़ा केंद्र बन सके।


उन्होंने जिला स्तर पर कार्ययोजना बनाकर किसानों को बैंकों से ऋण दिलाकर साधन संपन्न बनाने की बात कही थी। बावजूद इसके प्रशिक्षण हेतु खोले गए नॉडल केंद्र बंद हो गये। इसके साथ ही किसानों का इस लाभकारी स्वरोजगार से मोह भंग हो गया। वर्ष 12 में सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने मलवरी उत्पादन से स्वरोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परमानदंपुर गांव में शहतूत किसानों से हाल-चाल पूछा था तथा उत्पादन से संबंधित समस्याओं का जायजा लेने के उपरांत त्रिवेणीगंज की सभा में मलवरी उत्पादन से जुड़े किसानों की समस्याओं का निदान करते हुए जिला में शहतूत की खेती को पुरजोर बढ़ावा देने का घोषणा की थी। किन्तु वर्ष कई बीत जाने के बाद भी अब तक सुध नहीं लिये जाने के किसान ठगा महसूस कर रहे हैं।
