प्रादेशिक भाषाओं के पुस्तकालयों की अतिआवश्यकता – देशमुख

पुस्तकालय कर्मचारियों को दिलाएंगे न्याय – काम्बले

पुस्तकालय हमारी अनमोल धरोहरें है – वी. बी. जैन

गुरुग्रंथ साहिब साक्षात भगवान की वाणी – सरदार एन. एस. प्रेमी

नासिक। राष्ट्रीय ग्रंथालय (पुस्तकालय) सभा की आठवीं वार्षिक सभा में सर्वसम्मति से महाराष्ट्र सरकार के पूर्व राज्यमंत्री मधुकर राव काम्बले को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। वार्षिक साधारण सभा में महाराष्ट्र राज्य ग्रंथालय महासंघ, महाराष्ट्र ग्रंथालय महासमिति, श्री बीजी देशमुख मित्रमंडल, महाराष्ट्र ग्रंथालय कर्मचारी श्रमिक कामगार संघटना के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया। सभा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाऊ साहेब वाघ, हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुरिन्दर पाल सिंह, संजय काम्बले, समद खान, विश्वनाथ राउत आदि भी उपस्थित थे। इस अवसर पर राष्ट्रीय महासचिव बी. जी. देशमुख ने कहा कि प्रादेशिक भाषाओं के विकास व जनुपयोग के लिए गांव गांव में पुस्तकालय का होना जरूरी है, महाराष्ट्र में 12,700 से अधिक पुस्तकालय है, परन्तु मौजूदा शिवसेना नीत सरकार द्वारा पुस्तकालय कर्मचारियों की समस्याओं का समुचित निदान न करने के कारण दुःखी होकर महाराष्ट्र के 7,200 से ज्यादा पुस्तकालयों के पदाधिकारियों ने आज शिवबन्धन तोड़ के शिवसेना से सम्बंध तोड़ लिया है। सभा के राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष वी. बी. जैन ने सभा में बताया कि पुस्तकालय हमारी अनमोल धरोहरें है, पुस्तकालयों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो उसके लिए जनजागरण अतिआवश्यक है। राजस्थान में भी राजस्थान की प्रादेशिक भाषा राजस्थानी के पुस्तकालयों की ज्यादा से ज्यादा स्थापना के लिए राजस्थान सरकार से मांग की जाएगी। पंजाब प्रदेशाध्यक्ष सरदार निरंजनसिंह प्रेमी ने कहा कि सिक्ख धर्म में पुस्तकों को सर्वोच्च सम्मान दिया है इसीलिए दसवें गुरु गोविंदसिंह जी ने आगे गुरु परम्परा को रोक कर गुरुग्रंथ साहिब को ही गुरुवाणी मनाने के लिए कहा है, इसीलिए सच्चा सिक्ख रोज गुरुग्रंथ साहिब का वाचन करता है। वार्षिक सभा में कर्मचारियों ने 1,500 रुपये मासिक वेतन के कारण आत्महत्या की व भुखमरी की नोपत आने की बात कही है। राष्ट्रीय अध्यक्ष मधुकर राव काम्बले ने महाराष्ट्र के पुस्तकालय कर्मचारियों की न्यायोचित समस्याओं को महाराष्ट्र सरकार व महाराष्ट्र के राज्यपाल से मिलकर शीघ्र समाधान करने का उपस्थित सदस्यों को आश्वासन दिया है।