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बीकानेर – ओम एक्सप्रेस न्यूज़।प्रदेश के नगरीय निकायों के प्रमुखों के अधिकारों को लेकर पिछले दिनों स्थानीय निकाय के निदेशक उज्ज्वल राठौड की ओर से किए आदेशों के बाद बीकानेर नगर निगम की महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने अब मोर्चा खोल दिया है ।

नगर निगम बीकानेर महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक उज्ज्वल राठौड को हटाने की मांग की है ।

प्रदेश के नगरीय निकायों के प्रमुखों के अधिकारों को लेकर पिछले दिनों स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक उज्जवल राठौड़ की ओर से जारी एक आदेश पर बीकानेर नगर निगम की महापौर सुशीला कंवर ने कड़ा रुख अपनाते हुए विरोध किया है , इसको लेकर महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल और मुख्य सचिव को पत्र लिखा है , पत्र में डीएलबी निदेश उज्ज्वल राठौड़ की ओर से जारी किए गए आदेशों को गलत बताते हुए वापस लेने की मांग की गई है और साथ ही स्थानीय निकाय के अस्तित्व को बचाने का हवाला देते हुए उज्जवल राठौड़ जैसे अज्ञानी अधिकारी को हटाने की भी मांग की है।

दरअसल महापौर ने बीकानेर नगर निगम में कुछ पार्षदों के खिलाफ हुए कुछ दिन पहले हुए राजकार्य में बाधा के मुकदमे में निदेशक राठौड़ की ओर से की जा रही कार्रवाई पर सवाल खड़ा किया है , राठौड़ ने पार्षदों और कर्मचारियों के बीच हुए विवाद के मामले में स्थानीय निकाय के उपनिदेशक बीकानेर को विभागीय स्तर पर मामले की जांच करने के लिए निर्देशित करते हुए रिपोर्ट मांगी थी इस मामले में कर्मचारियों के साथ ही पार्षदों के आरोप पत्र विवरण और सेवा विवरण का रिकॉर्ड भी मांगा , राठौड़ के इस तरह विवरण मांगे जाने को महापौर ने हास्यास्पद बताते हुए मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में इस पर सवाल उठाया । उन्होंने कहा कि निदेशक राठौड़ को जनप्रतिनिधि और राजकीय कर्मचारियों के बीच का भेद ही मालूम नहीं है , क्योंकि जनप्रतिनिधि राजकीय सेवा आचरण के नियमों में नहीं आते और उन पर राजकीय सेवा के अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध प्रयुक्त की जाने वाली विभागीय जांच की प्रणाली अपनाई नहीं जा सकती।

पत्र में महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने निदेशक राठौड़ को अज्ञानी तक बताते हुए उन्हें हटाने की मांग की है ।

डीएलबी के निदेशक के खिलाफ महापौर के मोर्चा खोलने को प्रदेश की अन्य निकायों से भी समर्थन मिलता जा रहा है , निदेशक राठौड़ ने पिछले दिनों निकाय प्रमुखों को किसी भी तरह की कोई फाइल सीधे नहीं भेजने और किसी भी पत्रावली के निकाय प्रमुख के मांगने पर उसकी फोटो कॉपी ही देने के आदेश दिए थे , जिस पर अन्य निकाय प्रमुखों ने भी अपने अधिकारों पर कुठाराघात होने का आरोप लगाते हुए सरकार को इसकी शिकायत की है और अब प्रदेश के कई निकायों से निदेशक को हटाने की मांग जोर पकड़ती नजर आ रही है और आम जन में भी चर्चा है की अधिकारी कैसे कैसे हास्यपद आदेश जारी कर देते है और जिसके कारण आम जनता के काम रुक जाते है ।