रिपोर्ट -राजेन्द्र गुंजल
अजमेर।हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय , जयपुर के कुलपति पद पर नियुक्ति के साथ ही श्री ओम थानवी सोशल मीडिया के निशाने पर आ गए । हालांकि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने उनकी नियुक्ति पर खुशी जाहिर की । सोशल मीडिया के हमले तब और बढ़ गए जब उन्हें राजस्थान आई.एल.डी. स्किल यूनिवर्सिटी के कुलपति पद का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया । कुछ ही दिनों बाद महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति पद का भी प्रभार मिल गया ।
सोशल मीडिया में श्री थानवी की काबिलियत , कुलपति पद के लिए पर्याप्त योग्यता नहीं होना , आदि कई मुद्दे उछाले गए । पर आज सिर्फ एक ही मुद्दे पर चर्चा हो पाएगी । सोशल मीडिया में यह भी लिखा गया कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत उन पर मेहरबान हैं । इसीलिए एक साथ तीन विश्वविद्यालयों का कुलपति बना दिया । इसके चलते श्री थानवी तीनों विश्वविद्यालयों के वाहनों का दुरुपयोग कर रहे हैं ।
पिछले शनिवार को श्री थानवी पुष्कर और अजमेर की यात्रा पर थे । उनके साथ लंदन निवासी उनके मित्र वरिष्ठ पत्रकार श्री शिवकांत भी थे । श्री शिवकांत लम्बे अरसे तक अपनी सेवाएं बी.बी.सी.लंदन को दे चुके हैं । दरअसल उन्हें ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत करनी थी और पुष्कर स्थित जगतपिता ब्रह्मा के मंदिर व सरोवर की पूजा अर्चना करनी थी । श्री शिवकांत की धार्मिक यात्रा को सम्पन्न करने का जिम्मा मित्र होने के नाते श्री थानवी पर ही था ।
पुष्कर से लौटते समय दोनों पत्रकार कॉलोनी स्थित मेरे निवास पर भी आए । दरगाह में जियारत कराने का दायित्व मुझे सौंप दिया । करीब एक – डेढ़ घंटे की गपशप के बाद जब दरगाह के लिए रवानगी लेने के लिए मैं कार के पास आया तो चौंक गया । श्री थानवी अपनी दिल्ली रजिस्ट्रेशन नंबर की स्कोडा लेकर आए थे । उस पर ” प्रेस ” भी लिखा था और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर का स्टीकर भी लगा हुआ था । जबकि मेरी कल्पना में कार पर कुलपति , हरिदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय , जयपुर की बड़ी सी प्लेट लगी होने की थी । इस बारे में मैंने सवाल किया तो वह मेरे कौतुहल की वजह समझ गए । उन्होंने जवाब दिया कि वह अपने मित्र को निजी यात्रा पर लेकर आए हैं । निजी यात्रा पर सरकारी कार का उपयोग कैसे हो सकता है ? इतनी उच्च स्तरीय नैतिकता का पालन करने वाले श्री थानवी के खिलाफ लिख कर सोशल मीडिया ने अपनी विश्वसनीयता को दाग ही लगाया है ।
दरगाह और पुष्कर को लेकर श्री थानवी की टिप्पणी साम्प्रदायिक सद्भाव का एक नया आयाम स्थापित करती है । वह कहते हैं ” दरगाह के दर्शन और पुष्कर की जियारत करानी है ” ।