आलेख आचार्य शुभ दर्शन ज्योतिषाचार्य
(भीमसेनी एकादशी)
21 जून 2021 (सोमवार)
– पारण का समय
-अगले दिन द्वादशी को सुबह 05:35am से 8:18am बजे तक
सभी सांसारिक सुखों और कामनाओं और मोक्ष को प्रदान करने वाली निर्जला एकादशी व्रत।
युं तो सभी सुखों और पुरुषार्थ-चतुष्ट्य को प्रदान करने वाली एकादशी व्रत हर माह में दो बार आता है अर्थात् वर्ष भर में 24 एकादशियां होती है। लेकिन सभी के लिए हर एक एकादशी के व्रत को कर पाना मुश्किल है। ऐसे में मात्र एक एकादशी व्रत को करने भर से वर्ष भर के एकादशी व्रत के पुण्य को प्राप्त किया जा सकता है।
शास्त्रों के अनुसार महाभारत काल के समय में एक बार पांडु पुत्र भीम ने महर्षि वेदव्यास जी से पूछा– हे परम आदरणीय मुनिवर मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी का व्रत करते हैं और मुझे भी करने के लिए कहते हैं, किन्तु आप तो जानते हैं कि मेरे उधर में वृक् नामक जठराग्नि निरंतर प्रज्वलित रहने के कारण मुझे भूख सहन नहीं होता है। अत: कृपा करके मुझे कोइ ऐसा उपाय बताएं कि बिना एकादशी का व्रत किए हीं मैं वर्ष भर के एकादशी का फल प्राप्त कर सकूं।
भीम के अनुरोध पर महर्षि वेदव्यास जी ने कहा कि हे पांडूपुत्र तुम निर्जला एकादशी व्रत करो। इस दिन अन्न और जल का सर्वथा त्याग कर व्रत करना चाहिए। तथा एकादशी के दिन सूर्योदय से लेकर अगले दिन द्वादशी को सूर्योदय तक इस व्रत का विधिवत् पालन करना है। ऐसा करने से वर्ष भर के सभी एकादशीयों का संपूर्ण पुण्य फल प्राप्त हो जाता है। कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास जी की आज्ञा से हीं भीमसेन ने एकादशी का व्रत के पालन किया था। और तभी से इस एकादशी को “भीमसेनी एकादशी” के नाम से भी जाना जाता है।
–निर्जला एकादशी पूजन विधिः-*
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए।और संभव हो तो सूर्योदय से पूर्व हीं नित्य कर्म से निवृत्त हो जाना चाहिए।
उसके बाद भगवान नारायण का विधिवत् पूजन करना चाहिए।
इस दिन जल से भरे घट (मटका) का दान करने का विशेष महत्व होता है।
इस दिन किसी ब्राह्मण को जल से भरा हुआ मटका और चीनी का दान करने से सहस्त्र गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। विशेष कर जिन लोगों के कुंडली में शुक्र खराब हों उन लोगों को इस दिन चीनी का अवश्य दान करना चाहिए। साथ में श्वेत वस्त्र का दान करना चाहिए। ऐसा करने से शुक्र से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं और सभी भौतिक सुख की प्राप्ति होती है।