-राजनीति में अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को ‘पानी पिला’ दिया
-इसीलिए जिन अभिभावकों के बच्चों का अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला नहीं हुआ यह चिंता ना करें

जयपुर (हरीश गुप्ता)।जिन बच्चों का अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला नहीं हो पाया है, उनके अभिभावकों को कोई टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। आज के हालात में हिंदी स्कूल इंग्लिश पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। उदाहरण के तौर पर हिंदी स्कूल में पढ़े मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही देख लीजिए।
गौरतलब है इन दिनों स्कूल- कॉलेजों में दाखिले का दौर चल रहा है। हर अभिभावक की इच्छा है कि उनकी संतान इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई कर डॉक्टर- इंजीनियर बने। डॉक्टरों की सीटें गिनती की है और इंजीनियर कितने बेरोजगार घूम रहे हैं, यह सभी को पता है।
अब राजनीति में देखा जाए तो सियासत के जादूगर अशोक गहलोत हिंदी मीडियम से पढ़े, वहीं सचिन पायलट विदेश में इंग्लिश मीडियम से पढ़े है। किसकी क्या स्थिति है, किसी से छिपी नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे कई उदाहरण देखे गए कि जो बाहर से पढ़ कर आए, राजनीति में सक्सेस का अनुपात उनका कम ही है। वैसे भी माना जाता है कि हिंदी मीडियम से पढ़े हुए राजनीतिक व्यक्ति का सामान्य ज्ञान अपेक्षाकृत ज्यादा होता है।
सूत्रों की माने तो एक सर्वे में सामने आया है राजस्थान प्रशासनिक सेवा में कुछ सालों से हिंदी मीडियम के छात्रों का सिलेक्शन रेश्यो ज्यादा रहा है। वही राजस्थान के कुछ बड़े व्यापारियों को देखा जाए, तो अधिकतर हिंदी मीडियम से पढ़े हुए ही मिलेंगे। जिन बच्चों का इच्छित इंग्लिश स्कूल में दाखिला नहीं हुआ है, उन्हें व उनके परिजनों को टेंशन लेने की कोई जरूरत नहीं है और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से प्रेरणा लेने की जरूरत है।