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गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नई रणनीति अपना दूसरे राजनीतिक दलों को असमंजस में डाल दिया है। राजनीति के जानकार भी कांग्रेस की चुनावी चाल को भांपने में सफल नहीं हो पा रहे हैं, वहीं कांग्रेस आरोपों के बाद भी कुछ भी नहीं बोल रही है। कई बार चुप्पी से भी बहुत कुछ कह दिया जाता है, उसी दर्शन पर कांग्रेस इस बार कांग्रेस चल रही है।
गुजरात की कांग्रेस की रणनीति ने सर्वाधिक परेशान भाजपा को किया है। पिछली बार कांग्रेस ने उसे कड़ी टक्कर दी थी और पहली बार 99 सीट पर रोक दिया था। 8 सीटों का ही फासला बचा था। उससे भाजपा सतर्क है, मगर कांग्रेस कुछ भी कहने व बोलने से बच रही है। कांग्रेस की चुप्पी गहरे अर्थ लिए है, इसका अंदाजा पीएम के बयान से लगता है। गुजरात की एक जन सभा में उनको कहना पड़ा कि मुकाबला कांग्रेस से है, उसको लेकर कार्यकर्ता सतर्क रहें। उसे हल्के में न ले।
ये बात भी सही है। कांग्रेस गुजरात में कुछ भी बोलने से बच रही है। उसे पिछले तीन विधानसभा चुनावों का अनुभव है पीएम मोदी पर व्यक्तिगत हमले के अच्छे रिजल्ट नहीं मिले थे। क्योंकि गुजरात का वोटर पीएम पर हुए हमले को अपनी अस्मिता पर हमला मानता है। परिणा मस्वरूप वो ज्यादा तीखा होकर रिएक्ट करता है। उसने ऐसा किया भही।
यही वो आधार है कांग्रेस की चुनावी रणनीति का। इस बार चुनाव से गांधी परिवार अब तक तो पूरी तरह दूर है, तभी तो भाजपा उस पर हमलावर नहीं हो पा रही है। सोनिया ने अध्यक्ष पद छोड़ ख़ुद को पहले ही अलग कर लिया है। राहुल भारत जोड़ों यात्रा में है, जो गुजरात चुनाव तक समाप्त नहीं होगी। प्रियंका ने अपने को हिमाचल में सक्रिय कर रखा है। इस हालत में गांधी परिवार पर भाजपा को हमले का बिल्कुल भी अवसर नहीं मिल रहा। कांग्रेस ने अपने नेताओं के बयानों पर भी रोक लगा रखी है। जिसमें काफी हद तक सफल रही है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस के नेता शहरी क्षेत्र में घर घर घूमे थे और बेहतर परिणाम भी पाए थे। इस बार उसने अपने राजस्थान व छत्तीसगढ़ के मंत्रियों, विधायकों व बड़े नेताओं को मैदान में जातिगत आधार पर विधानसभा क्षेत्रों में उतारा है। उनका पहला फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर है। वहां से वे शहरी क्षेत्र में आयेंगे। सीधे मतदाता से संपर्क से कांग्रेस उत्साहित भी है। ये ही संपर्क भाजपा को परेशान किये हुए है।
कांग्रेस ने गुजरात में एक तरफ जहां गांधी परिवार को पूरी तरह दूर रखा है वहीं अशोक गहलोत को कमान देकर नई रणनीति पर काम किया है। रघु शर्मा प्रभारी के रूप में एक साल से वहां डेरा डाले हुए हैं। कांग्रेस की चुप्पी व मतदाता संपर्क के काम से भाजपा ही नहीं आम आदमी पार्टी भी असमंजस में है। वो खुद को विकल्प बनाना चाह रही थी, उसका हमला कांग्रेस के वोट बैंक पर है। मगर कांग्रेस ने चुप रह केजरीवाल के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। भाजपा और आप मे सीधी टकराहट हो रही है, जिसका फायदा उठाकर कांग्रेस मतदाता तक सीधे पहुंच रही है।
कुल मिलाकर कांग्रेस ने चुप्पी और गांधी परिवार को प्रचार से दूर रख गुजरात के चुनाव को रोचक बना दिया है। भाजपा और आप, दोनों उसकी मौन की रणनीति में उलझते जा रहे हैं। ये स्थितियां चुनाव को हर दिन रोचक बना रही है।


- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार