

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अभी राजस्थान में है और अंतिम चरण में दौसा से अलवर पहुंच गई। यहां से राहुल हरियाणा राज्य में प्रवेश करेंगे। राजस्थान की अपनी यात्रा के मध्य राहुल ने कमोबेश राजस्थान के हर कांग्रेस विधायक से बात की है। कई मंत्रियों और विधायकों से के सी वेणुगोपाल भी मिले है। पूर्व विधायकों और पार्टी के पदाधिकारियों से भी राज्य की स्थिति को लेकर चर्चा हुई है। यात्रा के दौरान यहां की कांग्रेस के दोनों गुटों की तरफ से कोई बयानबाजी नहीं हुई। आलाकमान के निर्देश की पूरी पालना हुई। तीखे हमले वाले बयान दोनों तरफ से बंद हो गये। ये शांति तूफान से पहले की खामोशी राजनीतिक हलकों में मानी जा रही है।
सार्वजनिक रूप से यात्रा बहुत सफल रही है। भारी जन समर्थन सड़कों पर था। मगर पर्दे के पीछे से दोनों गुटों की तरफ़ से शक्ति बल का प्रदर्शन अवश्य हुआ। कोटा – बूंदी व दौसा की भारी भीड़ इसका उदाहरण है। ये शक्ति प्रदर्शन, बेनर आदि की बाढ़ देखकर स्पष्ट लगता है कि ऊपर से शांति है मगर इस शांति के पीछे एक कोलाहल भी है। जिसको पढ़ने का काम आलाकमान अलग अलग नेताओं से करा रहा था। यात्रा के मध्य ही राजस्थान कांग्रेस सरकार के चार साल पूरे हुए हैं। उस पर भी राहुल ने एक बयान देकर राजनीति को गर्मा दिया। राहुल ने कहा कि हमने क्या किया, ये महत्त्वपूर्ण नहीं, फोकस इस बात पर होना चाहिए कि हम आगे क्या करेंगे। इस बयान ने राजनीतिक हल्के में खासी चर्चा पाई।
यात्रा के कारण कांग्रेस ने अपना राज्य प्रभारी भी बदला। अजय माकन इस्तीफा दे चुके थे, क्योंकि वे विवाद में आ गये। आलाकमान ने उनकी जगह राजस्थान का प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को बना दिया। रंधावा पंजाब के कद्दावर नेता है और वे प्रभारी बनते ही राज्य में आ गये। लगातार राहुल व वेणुगोपाल के साथ रहे, चर्चा भी करते रहे।
यात्रा के मध्य एक बात जोर शोर से उठी कि अनुशासनहीनता के नोटिस वाले तीन नेता शांति धारीवाल, महेश जोशी व धर्मेंद्र राठौड़ की सक्रियता ये बता रही है कि वो मामला खत्म हो गया। मीडिया में उनको क्लीन चिट मिल जाने तक की खबरें भी चली। इन तीनों नेताओं ने यात्रा में साथ दिया, ये दिख भी रहा था। लोगों को भी क्लीन चिट की खबरों पर पूरा भरोसा हो गया।
मगर अचानक से वेणुगोपाल ने जयपुर में बयान दिया कि कोई क्लीन चिट नहीं दी गयी है। मामला अनुशासन समिति के विचारार्थ है और समिति छानबीन कर रही है। तथ्यों का पता लगा रही है। उसके बाद ही कोई निर्णय किया जायेगा। ये बयान एक बार फिर पूरे मामले को नया राजनीतिक मोड़ दे गया। दोनों गुट इस पर कुछ नहीं बोले। बोलने पर आलाकमान की पाबंदी जो है। मगर इतना शांति भरा मसला नहीं है ये, इसके साफ संकेत मिल रहे थे।
इसी बीच कल राज्य कांग्रेस प्रभारी रंधावा ने कहा कि जिन तीन नेताओं को अनुशासनहीनता का नोटिस मिला है, उस पर दिल्ली में 23 मार्च को चर्चा होगी। उस बैठक में रिपोर्ट के आधार पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे निर्णय लेंगे। ये बयान उस समय आया है जब राहुल की यात्रा राजस्थान का अपना तय समय पूरा कर रही है। इस बयान के बाद कांग्रेस की भीतरी राजनीति में फिर से हलचल आरम्भ हो गयी है। निर्णय के बाद नए राजनीतिक समीकरण बनेंगे, ये तो तय ही है। क्योंकि पार्टी के आला नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट, दोनों को पार्टी के लिए जरूरी मान रहे हैं। साथ ही मिलकर अगला चुनाव लड़ने और फिर से सरकार लाने की बात कह रहे हैं। सामंजस्य और संतुलन होगा निर्णय में, ये भी लग रहा है। मगर इतना तय है कि राहुल की यात्रा हरियाणा में प्रवेश करते ही राजस्थान कांग्रेस पर आलाकमान फोकस करेगा। आलाकमान का निर्णय ही प्रदेश की राजनीति का भविष्य तय करेगा।


- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार
