मुज्जफरनगर में आप हुई खाप पंचायतों की बैठक के बाद पहलवानों का आंदोलन अब नये तेवर में आ गया है। खाप प्रमुखों की इस बैठक में ये तय किया गया कि अब ये आंदोलन पहलवानों का नहीं रहा, देश का गौरव बढ़ाने वाली बेटियों को न्याय दिलाने का है, जिसके लिए हर देशवासी तैयार है। खाप प्रमुखों के आज तीखे तेवर थे। कुरुक्षेत्र की महापंचायत में आंदोलन की रूपरेखा तय होगी। खाप पंचायतों की बैठक में ये तय किया गया कि महामहिम राष्ट्रपति व गृह मंत्री से पहले मुलाकात होगी। उसके बाद आगे बढ़ेगा आंदोलन।
साक्षी मलिक, विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया अपने पदक गंगा में बहाने के लिए हरिद्वार पहुंच गये थे। उनको ऐसा करने से किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकेत व खाप प्रमुख ने रोका। खाप प्रमुख ने अपनी झोली फैलाकर कहा कि पदक इसमें डाल दो, हमें पांच दिन का समय दो। पहलवानों ने रोते हुए उनकी बात मान ली। उसी समय से ये आंदोलन खाप पंचायतों व किसान यूनियन का हो गया।
वहीं इन पहलवानों के समर्थन में बंगाल की सीएम ममता दीदी तो आज सड़क पर उतर आई। पहलवानों के समर्थन में एक मार्च निकाला गया, जिसमें वे शामिल हुई। उन्होंने कहा कि इन खिलाड़ियों की लड़ाई में वे कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ है। यूपी, हरियाणा में अलग अलग पंचायतें भी पहलवानों के समर्थन में उतर गई है।
कुरुक्षेत्र की महापंचायत पर अब सबकी नजर टिकी है, क्योंकि आंदोलन की घोषणा वहीं से होगी। सरकार के भी अब कान खड़े हो गये हैं। किसान पहले ही एक लंबी लड़ाई सरकार से लड़ चुके हैं और हारकर केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लिये। इस बार यदि किसान खाप के साथ दिल्ली आ गये तो स्थिति काफी विकट हो जायेगी। क्योंकि इस आंदोलन को पूरे विपक्ष का समर्थन है, अन्य जातियों की खाप भी साथ है। इसी कारण सरकार की भी चिंता बढ़ी है। ये चुनावी समय है। इस साल राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना के चुनाव है और अगले साल आम चुनाव। इतने बड़े वर्ग को नाराज करने का खतरा केंद्र सरकार शायद नहीं लेना चाहेगी।
मगर ये भी आश्चर्य है कि आंदोलन को 40 दिन हो गये मगर सरकार ने चुप्पी साध रखी है। कुछ भी नहीं कह रही। 28 मई को पहलवानों के साथ दिल्ली पुलिस का जो व्यवहार हुआ, उसकी तस्वीरें व वीडियो देखकर हर वर्ग गुस्से में है। इसीलिए अब ये आंदोलन बड़ा रूप लेगा, ऐसा साफ दिखने लग गया है। यदि समय रहते सरकार नहीं संभली तो उसे राजनीतिक नुकसान होगा। क्योंकि अनेक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, क्रिकेटर , बुद्धिजीवी आदि भी पहलवानों के साथ हुए दुर्व्यवहार के बाद आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। सरकार को भी जिद छोड़ जांच करानी चाहिए ताकि विषम स्थिति का पटाक्षेप हो।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार