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गुजरात में विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण में आज 93 सीट पर मतदान होगा। आरम्भ में कांग्रेस को गायब बताने वाले आप – भाजपा नेता और कई टीवी चैनल अब ये स्वीकार रहे हैं कि गुजरात में मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के मध्य ही है, वो भी कड़ा मुकाबला। आप ने जोर शोर से प्रचार शुरू किया मगर दूसरे चरण तक आते आते उसकी हवा निकल गई। आप व उसके नेता तो दिल्ली एमसीडी चुनाव में ही उलझे नजर आये। कांग्रेस इस बार अपनी अलग चुनावी रणनीति में सफल रही, जिससे भाजपा भी चकित है। इसी कारण इस चरण तक आते आते गुजरात चुनाव रोचक हो गया है। आज का मतदान गुजरात में किसकी सरकार बनेगी, इसकी तस्वीर को साफ कर देगा।
चुनाव प्रचार शुरू हुआ तब पीएम नरेंद्र मोदी ने आप के प्रचार के हल्ले के बीच कहा था कि मुकाबला कांग्रेस से है। वो बात अब जाकर सही साबित हो रही है। कांग्रेस ने गुजरात चुनाव के लिए इस बार अलग तरह की रणनीति को अपनाया। प्रचार को आरम्भ में मीडिया से दूर रखा और ग्रामीण क्षेत्र में घर घर जाकर वोट मांगे। कांग्रेस जानती थी कि उसको सफलता शहरी क्षेत्र में कम मिलेगी इसलिए अपने प्रभाव के ग्रामीण क्षेत्र की सीट को ही उसने टारगेट किया।
कांग्रेस को आप और ओवैसी के आने की जानकारी पहले से थी, इसलिए उसने पहली रणनीति इन दोनों के प्रभाव को रोकने की बनाई।
आप का गुजरात मे सांगठनिक ढांचा है नहीं, शहर में वो जल्दी प्रचार पा लेंगे जबकि ग्रामीण क्षेत्र तक उसका पहुंचना असंभव रहेगा, ये कांग्रेस के रणनीतिकारों को पता था। इसलिए ज्यादा समय आरम्भ में उसने ग्रामीण क्षेत्र पर दिया।
ओवैसी कांग्रेस के वोट बैंक मुस्लिम मतदाता में ही विभाजन करने का काम करेंगे, इसके लिए पार्टी ने भारत जोड़ों यात्रा के बीच से सांसद व शायर इमरान प्रतापगढ़ी को बुलाया। जिनकी मुस्लिम बहुल सीटों पर ताबड़तोड़ सभाएं कराई। ओवैसी को असर को रणनीतिक तरीके से कांग्रेस ने कम किया है।
ग्रामीण सीटों पर काम करने के बाद कांग्रेस ने अपने नेताओं की फौज एकसाथ शहरी सीटों पर उतारी। तब तक भाजपा को कांग्रेस की रणनीति समझ आने लग गयी। उसने भी मोदी , शाह, राजनाथ, नड्डा की सभाएं व रैलियां बड़ी संख्या में की। भाजपा ने दूसरे चरण के मतदान से पहले अपने कोर वोट को टारगेट किया ताकि वो तो न खिसके।
कांग्रेस ने गुजरात चुनाव को इस बार नकारात्मक मुद्दे से पूरी तरह बचाने का प्रयास किया और उसमें वो सफल भी रही। पीएम मोदी पर व्यक्तिगत आरोप से कांग्रेस नेता बचे और महंगाई, बेरोजगारी, विकास जैसे मुद्दों पर ही बोलते रहे। भाजपा नेताओं ने बहुत उकसाया की राहुल, प्रियंका, सोनिया प्रचार में क्यों नहीं है, इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया, मगर कांग्रेस विचलित नहीं हुई। जवाब भी नहीं दिया और न इन नेताओं को बुलाकर भाजपा को हमलावर होने का अवसर दिया। राहुल केवल 2 सभाएं करके निकल लिए। वो भी आदिवादी क्षेत्र में।
हां, खड़गे ने जरूर रावण से तुलना कर भाजपा व मोदी को हमले का एक अवसर दिया, मगर उसे भाजपा पूरी तरह भुना नहीं पाई। कांग्रेस ने अपने अध्यक्ष के बयान का जल्द मेकअप किया। खड़गे की सभाएं एससी बहुल सीटों में अधिक कराई गई ताकि कांग्रेस अपने इस वोट बैंक को फिर से अपनी तरफ ला सके। उसमें वो कितनी सफल रही, ये तो समय बतायेगा। कल कांग्रेस ने ओबीसी सीएम, तीन डिप्टी सीएम जिसमें एससी, अल्पसंख्यक शामिल की बात कह अपना अंतिम राजनीतिक दांव चला है, ये कितना कारगर होगा वो तो समय बतायेगा।
मगर ये तय है कि इस बार कांग्रेस ने अपनी खास रणनीति से चुनाव को रोचक मोड़ पर ला दिया है। अब दिखने लगा है कि गुजरात में भाजपा व कांग्रेस के मध्य टक्कर है। भाजपा यदि अपने कोर वोट को बचा ले गयी तो वो ताकत बनेगी। वहीं आप को मिलने वाले वोट भी कई सीटों का परिणाम तय करेंगे, ये पार्टी दोनों के वोट पर हमला कर रही है। पहले चरण का कम मतदान भी भाजपा के लिए चिंता का विषय है। आज 93 सीटों का मतदान गुजरात के रोचक चुनाव की तस्वीर से कुछ धुंध को जरूर हटायेगा। मतदान का प्रतिशत भी इसमें अहम रोल निभायेगा।

  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
    वरिष्ठ पत्रकार

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