…………
अगले महीनें गुजरात व हिमाचल प्रदेश विधानसभा के चुनाव है, जिसके लिए भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पूरी शक्ति झोंक दी है। गुजरात में जहां भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर है तो हिमाचल में पिछले उप चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस अपने लिए अवसर देख ज्यादा जोर लगा रही है। हिमाचल में हर पांच साल बाद सरकार भी बदलती है, उसी परंपरा से कांग्रेस आस लगाये हुए है। आम आदमी पार्टी के लिए इन राज्यों में खोने के लिए कुछ भी नहीं है, पंजाब की तरह वो भी चमत्कार की उम्मीद में पूरी शक्ति लगाये हुए हैं। तीनों दलों की सक्रियता ने दोनों राज्यों में रोचक राजनीतिक समीकरण बना दिये हैं।
तीनों दलों ने वोटर को प्रभावित करने का हर तरीका अपनाया हुआ है। चाहे वो धर्म हो, जाति हो या दीपावली का त्यौहार। हरेक का चुनावी उपयोग हो रहा है। पीएम ने छोटी दीपावली अयोध्या के राम मंदिर में मनाई तो गृह मंत्री अमित शाह ने अपना जन्मदिन गुजरात के उन इलाकों में मनाया जहां पिछले चुनाव में भाजपा कमजोर रही थी। भाजपा ने दोनों राज्यों में अपने केंद्रीय मंत्रियों को भी सक्रिय कर रखा है। कांग्रेस ने अपने शासन के दो राज्यों के मंत्रियों व विधायकों को इन राज्यों में लगा रखा है। आप अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ वोटर को लुभाने का प्रयास कर रही है।
गुजरात मे चुनाव अभी से रोचक हो गया है। ये राज्य भाजपा के लिए प्रतिष्ठा बना हुआ है। भाजपा के दो पॉवर हाउस पीएम व गृह मंत्री का ये गृह राज्य है, इसलिए वे हर हाल में यहां जीत चाहते है। सरकार की एन्टीनकम्बेंसी को रोकने के लिए थोड़े समय पहले सीएम और मंत्रिमंडल बदल दिया। अब उम्मीदवार भी बड़ी संख्या में बदलने की तैयारी है। मगर उसकी बड़ी चिंता कांग्रेस की चुप्पी है। कांग्रेस की रणनीति को भाजपा भांप नहीं पा रबी है। आप ने भी उसके लिए खासी परेशानी खड़ी कर रखी है। केजरीवाल का फ्री का फार्मूला ज्यादा परेशान किये हुए है। आप जितने भी मत लेगा, उसमें भाजपा का हिस्सा कम हो, इसके प्रयास भाजपा के रणनीतिकार कर रहे हैं।
कांग्रेस इस बार शोर से प्रचार नहीं कर रही है। उसने देश के अपने नेताओं को फील्ड में उतार रखा है। ये नेता सभाएं करने के स्थान पर घर घर जाकर मतदाता से मिल रहे हैं। कांग्रेस ने यहां अशोक गहलोत को कमान दे रखी है, जिन्होंने पिछले चुनाव में भाजपा को पहली बार 99 सीट पर ही रोक दिया था। गुजरात में राजस्थान के नेताओं का कांग्रेस ने पूरा जाल बिछा रखा है। इसे देखते हुए ही पीएम ने एक चुनावी सभा मे भाषण देते हुए कांग्रेस से सतर्क रहने की बात कहते हुए कहा कि हमारा मुख्य मुकाबला उसी से है। ये कूटनीतिक बयान था। इससे एक तरफ जहां कांग्रेस की गतिविधियों पर नजर रख रणनीति बनाने का निर्देध था तो दूसरी तरफ आप के प्रभाव को कम करने की कोशिश भी थी। कांग्रेस यहां धीमी गति की रणनीति अपनाये हुए है। आने वाले दिनों में यहां प्रचार के लिए प्रियंका गांधी को उतारा जायेगा। राहुल का अभी कोई कार्यक्रम तय या यूं कहें कि घोषित नहीं किया गया है। क्योंकि वे भारत जोड़ों यात्रा में है। मगर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस इस बार के चुनाव में कुछ अलग रणनीति पर काम कर रही है।
गुजरात मे जहां भाजपा सरकार न बदलने की परंपरा पर कायम रहना चाहती है वहीं इसी परंपरा का निर्वाह हिमाचल में भी चाहती है। हिमाचल में भाजपा ने कई बड़े नेताओं के टिकट काटे हैं जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री धूमल का टिकट भी है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के पिता का टिकट काट भाजपा ने बड़ा संदेश दिया है कि वो इस राज्य में सरकार रिपीट करने को लेकर गंभीर है। मगर इस टिकट काटने का नुकसान भी उसे उठाना पड़ेगा, ये अभी से लगने लगा है। यहां कांग्रेस ने सभी नेताओं से तालमेल बना उम्मीदवारों का चयन किया है ताकि भीतर के असंतोष का सामना न करना पड़े। यहां कांग्रेस के चुनाव अभियान की शुरुआत प्रियंका गांधी कर चुकी है। इस राज्य पर कांग्रेस का ज्यादा जोर है, ये साफ लग रहा है। इन दोनों राज्यों के चुनाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसकी छाया 2024 के आम चुनावों पर पड़ेगी।

  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
    वरिष्ठ पत्रकार