

गुजरात विधानसभा चुनाव की जब चहलकदमी आरम्भ हुई तो ये लग रहा था कि भाजपा के सामने कोई चुनोती नहीं है मगर आम आदमी पार्टी ने एंट्री कर राजनीति को गर्माया। कांग्रेस की रणनीति किसी भी दल को समझ नहीं आ रही थी, क्योंकि वो चुप रहकर सीधे मतदाता तक पहुंच रही थी। पीएम ने जरूर कहा कि कांग्रेस से मुकाबला है, उनकी ये टिप्पणी उनके राजनीतिक अनुभव को दर्शाने वाली रही। क्योंकि कांग्रेस ने अचानक से हर विधानसभा क्षेत्र में देश के अपने नेताओं को उतार मजबूत दस्तक दी। कांग्रेस की इस हलचल ने आप को पीछे धकेल दिया जो मुख्य मुकाबले में दिख रही थी।
कांग्रेस की रणनीति को देखकर भाजपा ने भी चुनाव के लिए अपनी नई नीति को अमली जामा पहनाया। केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फ़ौज उतारने के साथ ही भाजपा ने अन्य राज्यों के अपने नेताओं को भी गुजरात प्रवास पर बुला लिया। चूंकि भाजपा लगातार यहां सत्ता में है तो जाहिर है एन्टीनकम्बेंसी बनी है, उसको कम करने की रणनीति ही भाजपा ने बनाई है। भाजपा के पक्ष में बड़ी बात ये है कि पीएम और गृहमंत्री गुजरात से है, उनकी अस्मिता के लिए भावनात्मक रूप से गुजरात का वोटर मन जरूर बनाता है। मगर ये खूबी कुछ पैमाने पर भाजपा के लिए कमजोरी भी बन रही है। क्योंकि राष्ट्रीय समस्याओं महंगाई, बेरोजगारी का भी मतदाता पर असर हो रहा है। इस असर को कम करने के लिए ही भाजपा पूरा जोर लगा रही है।
इस बार पीएम के खिलाफ नकारात्मक प्रचार न होना भी भाजपा के लिए चुनोती है। पहले के चुनावों में कांग्रेस पीएम पर हमलावर रहती थी और भाजपा उसके प्रत्युत्तर में गुजरात की अस्मिता का सवाल खड़ा कर देती जिसका लाभ भी उसको मिलता रहा है।
मगर इस चुनाव में कांग्रेस अब तक तो सीधे पीएम पर हमला करने से बच रही है। इस खास रणनीति के कारण कांग्रेस अभी तक बैकफुट पर नहीं आई है। भारत जोड़ों यात्रा के कारण राहुल गांधी हिमाचल चुनाव में प्रचार के लिए नहीं गये थे, गुजरात को लेकर भी संशय बना हुआ था। राजनीतिक रूप से भाजपा इसी कारण कांग्रेस पर ज्यादा हमलावर नहीं हो पा रही थी। मगर आज राहुल भी गुजरात में प्रचार के लिए उतर रहे हैं। उससे सतर्क हो भाजपा ने भी कल पीएम की चुनावी सभाएं की। पीएम ने उत्तर गुजरात को इस बार प्राथमिकता में लिया है। क्योंकि पीएम और गृहमंत्री का ये इलाका है तथा इसमें पिछली बार भाजपा को कांग्रेस से कम सीट मिली थी। तभी भाजपा 99 सीटों पर रुक भी गयी थी। इसी वजह से इस इलाके पर भाजपा ने फोकस किया है।
राहुल गांधी बनासकांठा से अपना प्रचार आरम्भ कर रहे हैं। कांग्रेस भी अपनी कमजोर सीटों पर ज्यादा जोर लगा रही है। इसी कारण मुकाबला अब रोचक बन गया है। आप ही अब चुनावी गणित को बिगाड़ेगी। यदि वो मुकाबला त्रिकोणीय बनाने में सफल रही तो दोनों दलों को बराबर का नुकसान पहुंचायेगी। कांग्रेस – भाजपा के पूरी शक्ति झोंकने से अब आप थोड़ी पिछड़ने भी लगी है। दूसरी समस्या आप के लिए दिल्ली का एमसीडी चुनाव है। केजरीवाल को वहां भी पूरी ताकत लगानी पड़ रही है, क्योंकि वहां भाजपा ने उसको घेर लिया है। तभी तो कल से केजरीवाल को दिल्ली में प्रचार के लिए उतरना पड़ा है। दिल्ली आधार है आप का, उसे वो खोना या कमजोर होने देना नहीं चाहती।
राजनीति के जानकारों के अनुसार गुजरात मे आप दोनों दलों का बराबर नुकसान कर रही है। यदि ग्रामीण क्षेत्र में आप शक्ति बनी तो कांग्रेस का बड़ा नुकसान होगा। ठीक इसके विपरीत यदि शहरी क्षेत्र में आप 10 फीसदी या उससे अधिक वोट हासिल करती है तो भाजपा को नुकसान पहुंचायेगी। इन स्थितियों के कारण ही गुजरात चुनाव रोचक स्थिति में पहुंच गया है। यहां भाजपा – कांग्रेस में मुकाबला है और आप दोनों का गणित बिगाड़ रही है।
- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार 
