

27 साल से गुजरात में शासन कर रही भाजपा ने आज पहले चरण के मतदान के लिए अपनी पूरी शक्ति झोंकी है, क्योंकि इसी चरण में ये तय हो जायेगा कि इस बार फिर से भाजपा अपने को दोहरायेगी या फिर कोई बदलाव होगा। क्योंकि इस बार भाजपा – कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी भी पहली बार मैदान में उतरी हुई है, जो दोनों पार्टियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।
आज जिन 89 सीट पर मतदान होना है उसमें से 32 सीट पर पाटीदारों का बाहुल्य है, वे ही चुनाव परिणाम तय करते हैं। पिछले तीन चुनावों की तरह इस बार पाटीदार मुखर होकर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं और अपने रुख को लेकर सस्पेंस बनाये हुए हैं। तीनों पार्टियों ने पाटीदारों को ही अधिक संख्या में उम्मीदवार बनाया है।
इसी दौर में पाटीदार आंदोलन से निकले नेता हार्दिक पटेल के भाग्य का भी फैसला होना है। हार्दिक ने अपनी राजनीति पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा के विरोध से गैर राजनीतिक बनकर शुरू की थी। मगर बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। फिर वे कई कानूनी मामलों में घिर कर विवादित हो गये। कुछ समय के बाद हार्दिक ने पाला बदल लिया और भाजपा में ही शामिल हो गये। पहले पूरे गुजरात में घूम घूमकर प्रचार करने वाले हार्दिक इस बार केवल अपनी सीट तक सिमट के रह गये हैं। क्योंकि उनका बार बार पाला बदलना लोगों व पाटीदार समाज को रास नहीं आया। उनको चुनाव में कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है। वे इस बार बयानों को लेकर भी ज्यादा मुखरित नहीं है।
पाटीदार समाज का पहले चरण में कितना महत्त्व है ये इस बात से मालूम होता है कि चुनाव से पहले भाजपा ने विजय रूपानी को सीएम पद से हटाया और पाटीदार समाज से नया सीएम बनाया।
इन 89 सीट के खास होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा के लिए यहां पीएम मोदी, गृहमन्त्री अमित शाह, जे पी नड्डा, योगी के अलावा केंद्रीय मंत्रियों की पूरी फ़ौज ने चुनाव प्रचार किया। वहीं कांग्रेस भी इन 89 सीट का महत्त्व जानती थी, इसी वजह से उसने भी अपने देश के नेताओं को यहां उतारा।
भारत जोड़ों यात्रा में चल रहे राहुल गांधी हिमाचल चुनाव से दूर रहे थे मगर गुजरात के इस चरण के चुनाव में वे भी प्रचार के लिए आये। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कई सभाएं की। अशोक गहलोत, रघु शर्मा ने तो यहां पूरा समय दिया। चूंकि आप और एमआईएम की एंट्री से कांग्रेस चिंतित थी। उसकी काट के लिए कांग्रेस ने भारत जोड़ों यात्रा से सांसद व मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी को प्रचार के लिए बुलाया। उनकी मुस्लिम व अजा वोटर बहुल सीटों पर ताबड़तोड़ सभाएं कराई। जिसका असर भी हुआ। क्योंकि ओवैसी ने भी यहां पूरा जोर लगाया हुआ था। उनकी चुनावी काट के लिए ही इमरान को उतारा गया। अजा वोटों पर प्रभाव के लिए खड़गे ने प्रचार किया। इन नेताओं का समान रूप से केजरीवाल पर भी हमला रहा क्योंकि वे भी कांग्रेस के वोट बैंक में ही सेंध लगा रहे थे।
केजरीवाल ने भी यहां खूब सभाएं की। वे अपनी जमीन तलाश रहे हैं। उनको मिलने वाले शहरी वोट भाजपा का ज्यादा नुकसान करेंगे। वहीं ग्रामीण वोट कांग्रेस को नुकसान पहुंचायेंगे। कांग्रेस का विशेष फोकस इस बार ग्रामीण सीट पर रहा है। मगर मतदान तक पहुंचते पहुंचते आप का जोर कम हो गया क्योंकि केजरीवाल व अन्य नेताओं को दिल्ली एमसीडी चुनाव में भी वक़्त देना पड़ा। दोनों चुनाव साथ होने के कारण आप को परेशानी हुई।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन 89 सीट का फैसला पाटीदार समाज के रुख पर ज्यादा निर्भर करेगा। इसके अलावा आप को मिलने वाले वोट कई जगह भाजपा और कांग्रेस के लिए उलटफेर करेंगे। उस पर ही दोनों पार्टियों की नजरें है। एमआईएम भी जिस तेजी से शुरू हुई, धीरे धीरे मंद हो गयी। इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है। कुल मिलाकर 89 सीट का आज का मतदान सरकार किसकी बनेगी, ये स्पष्ट कर देगा।


- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार 
