

एनसीपी प्रमुख शरद पंवार ने अपनी गुगली से पाला बदलने वालों को न केवल क्लीन बोल्ड कर दिया अपितु महाअगाडी गठबंधन की शक्ति को भी साबित कर दिया। खुद के दल में जो लोग पाला बदलने का विचार कर गतिविधियां कर रहे थे, उनको भी अपनी हैसियत का पता लग गया। इस्तीफा वापस लेने की घोषणा के लिए पंवार ने जो पीसी बुलाई उसमें एनसीपी के सभी प्रमुख नेता शामिल थे, सिवाय अजीत पंवार के।
अपने राजनीतिक पटखनी के दाव से पंवार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य है। न केवल अपने विपक्षियों अपितु उन्होंने उद्धव ठाकरे को भी जता दिया कि उनको शिकस्त देना इतना आसान काम नहीं। इसी वजह से पंवार ने जैसे ही यकायक इस्तीफे की घोषणा कि तो सबसे बड़ा झटका महाराष्ट्र भाजपा के नेताओं को लगा। उनको प्रतिक्रिया देने में भी वक़्त लगा। बाद में पार्टी के नेताओं ने जो बयान दिए उनसे पता लग रहा था कि इस निर्णय ने शायद उनको गहरे तक प्रभावित किया है।
कुछ समय से एनसीपी में उठापटक की अंदरखाने खबर चल रही थी। अजीत पंवार के सुर भी बदले हुए थे। वे भरे भरे बोल रहे थे और माना जा रहा था कि उनके साथ 10 एनसीपी विधायक भी है। जोश जोश में अजीत पंवार ने अपने ट्विटर हैंडल से एनसीपी लिखा भी हटा लिया। अपनी सीएम बनने की ईच्छा भी जता दी। पर्दे के पीछे उनको अन्य विपक्षियों का समर्थन है, ऐसा उन्होंने संकेत भी दिया।
मगर शरद पंवार को यूं ही चाणक्य नहीं कहा जाता। उनके बारे में किवदंती है कि वे उड़ती चिड़िया के पर भी गिन लेते हैं। उनको इस उथल पुथल की हो रही कोशिश का तुरंत पता चल गया। उन्होंने आनन फानन में पार्टी के बैठक बुलाई। मगर उससे पहले एक बयान देकर अदला बदली करने वालों को भी चेतावनी ये बयान देकर दे दी कि अब तवे पर रोटी पलटने का वक़्त आ गया है। उस समय कोई भी उनके बयान को नहीं समझा। इस्तीफा देने को ही उन्होंने रोटी पलटना मान लिया। मगर हुआ उल्टा, इस्तीफा देकर अलग राह पकड़ने वालों को जता दिया कि उनका एनसीपी के अलावा कोई वजूद नहीं। क्योंकि एनसीपी दावे करने वालों के साथ नहीं, उनके ही साथ है। ये अजीत पंवार को स्पष्ट संदेश था। उनकी शतरंज के सभी मोहरे जो साथ थे, वापस बिखर कर बॉक्स में पहुंच गये। क्योंकि उनका ये भ्रम टूट गया कि पार्टी के अधिकतर नेता अजीत पंवार के साथ है।
इस्तीफा देकर शरद पंवार ने शक्ति प्रदर्शन किया और उछल कूद करने वालों को औकात दिखा दी। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी को संभावित टूट से बचा वापस मजबूत कर लिया। उनके इस राजनीतिक खेल में उनकी पुत्री सुप्रिया सुले के अलावा राहुल गांधी व स्टालिन ने भी सहयोग दिया। चाणक्य की तरह राजनीतिक बाजी जीतना ही पंवार का ध्येय नहीं था, इस बहाने उन्होंने महाअगाडी गठबंधन को भी टूटने से बचा मजबूती दे दी। भाजपा इसी कारण सकते में है। उसकी योजना या आशा पर पानी फिर गया। क्योंकि उसे पता है, महाअगाडी गठबंधन महाराष्ट्र के आम चुनाव में उनके लिए राह कठिन कर देगी। पंवार की राजनीतिक गुगली ने महाराष्ट्र की राजनीति को एक बार फिर उथल पुथल से बचा कईयों के मंसूबो पर पानी फेर दिया। अब महाअगाडी गठबंधन दुगुने जोश से मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार