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लगातार आम चुनाव व राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस का उदयपुर में चिंतन शिविर हुआ। जिसे लेकर भाजपा सहित अन्य कांग्रेस विरोधी दलों ने नकारात्मक टिप्पणियां की। इन कांग्रेस के विरोधी दलों का कहना था कि कांग्रेस को चिंतन शिविर नहीं चिंता शिविर आयोजित करना चाहिए। उकसाने व भड़काने के बाद भी चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस नेताओं ने प्रतिक्रिया नहीं दी। वो शिविर का ही प्रभाव था।
कांग्रेस चिंतन के बाद इतना बदलेगी, ये भाजपा सहित अन्य दलों ने कल्पना भी नहीं की थी। शिविर के बाद ये घोषणा हुई कि पार्टी अध्यक्ष पद गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं लेगा। भाजपा, अन्य दलों व पार्टी के भीतर के नेताओं को भी हर बार दिए जाने वाले इस बयान पर भरोसा नहीं हुआ। तभी तो पार्टी के चापलूस नेता भी राहुल को ही अध्यक्ष बनाने का राग अलापते रहे। मगर गांधी परिवार ने शिविर के बाद के बयान को सही साबित किया और संगठन के विधिवत चुनाव करा मल्लिकार्जुन खड़गे को अध्यक्ष चुना गया।
दूसरा बड़ा निर्णय शिविर में एक व्यक्ति एक पद का हुआ। खड़गे ने अध्यक्ष पद का नामांकन भरते ही राज्य सभा के ने विपक्ष के नेता पद को छोड़ दिया। भाजपा और अन्य दलों के नेताओं को पहली बार इस निर्णय से अचंभा हुआ। मगर संगठन चुनाव में खड़गे का प्रचार करने वाले नेताओं ने भी पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया। ये कांग्रेस की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत था। इस तरह का आजादी के बाद देश में संगठन चुनाव पर ये पहला निर्णय था, जिसने कांग्रेस को अन्य दलों से अलग साबित किया।
तीसरा सबसे बड़ा परिवर्तन कांग्रेस की राजनीति में आये बदलाव का है। गुजरात के मोरबी में पुल टूटा। 132 से अधिक लोगों की जान लापरवाही के कारण गई। गुजरात में चुनाव भी होने वाले है और वहां भाजपा की सरकार है। साफ साफ सरकार की गलती दिखती है। घड़ी और सीएलएफ बनाने वाली कम्पनी को पुल ठीक करने का ठेका दिया गया है। मगर को इस दुर्घटना पर कांग्रेस ने राजनीतिक हमले की कोशिश नहीं की। न ओछे बयान दिए। पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने तत्काल टिपण्णी करते हुए कहा कि इस दुर्घटना पर हम कोई सियासत नहीं करना चाहते। हमें मौत पर दुःख है। खड़गे ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्यों में मदद करे। उनके बयान का असर भी हुआ, जिसे जनता और मीडिया ने देखा। राहुल गांधी ने भी राजनीतिक बयान के बजाय कांग्रेस जनों को राहत में हाथ बंटाने की अपील की। खड़गे ने सरकार, भाजपा के बजाय दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की बात कही। ये वर्षों बाद किसी दुर्घटना पर किसी भी राजनीतिक दल का पहला ऐसा बयान है जिसमें आरोप नहीं, सहयोग व सहानुभूति की बात है।
कांग्रेस की राजनीति में आया ये बदलाव हर कोई अब गौर से देखने और उस पर बोलने लगा है। राजनीति की सुचिता शायद अर्से बाद दिखी है। राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा का ही इसे असर माना जा रहा है। राहुल चुनाव के बाद भी अपनी यात्रा पूरी करने में लगे है। इस तरह का शायद ही कोई उदाहरण कोई राजनेता प्रस्तुत कर पाया हो। कांग्रेस की राजनीति में आ रहा ये बदलाव आने वाले समय में अन्य दलों को भी अंगीकार करने के लिए मजबूर करेगा। जिसका लाभ तो लोकतंत्र को ही मिलेगा।


- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार 
