

अगले आम चुनाव की तैयारी के लिए विपक्षी दलों की दूसरे चरण की बैठक 13 -14 जुलाई को बेंगलुरु में होगी। पहले ये बैठक शिमला में होनी थी मगर अब स्थान बदल दिया गया है। 23 जून को पटना में हुई बैठक में विपक्षी दलों ने इस बात पर सैद्धान्तिक सहमति बना ली थी हम आम चुनाव मिलकर लड़ेंगे। उस बैठक में शामिल आम आदमी पार्टी ने उसके बाद जरूर रुख बदल लिया है क्योंकि कांग्रेस ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप को समर्थन देने का कोई आश्वासन नहीं दिया। गुस्से में केजरीवाल ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर चुनाव लड़ने का भी ऐलान कर दिया। जाहिर है, अब वो एकता में शामिल नहीं है।
पटना की बैठक में ममता, अखिलेश ने क्षेत्रीय दलों को उनके राज्यों में अधिक सीट देने की बात कही। कांग्रेस ने एकता पर बल देते हुए उनकी बात मानी। पटना बैठक में सीट हिस्सेदारी का फार्मूला व महागठबंधन के संयोजक का नाम तय नहीं हुआ था। उन पर ही बेंगलुरु की बैठक में निर्णय होने की संभावना है, ऐसे संकेत एनसीपी नेता शरद पंवार ने दिए हैं।
इसी बीच जेडीयू के नेता के सी त्यागी ने भी एक बयान देकर बताया है कि बंगाल में कांग्रेस व टीएमसी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। बिहार में महागठबंधन भी मिलकर लड़ेगा। त्यागी के पटना बैठक के बाद दिए गए इस बयान से स्पष्ट है कि विपक्षी दल एकता को लेकर गम्भीर है और ठोस निर्णय कर चुके हैं। आप ने तो अपने हित का ध्यान रख सेल्फ गोल कर लिया। अब उसे दूसरे विपक्षी दलों से भी सहयोग की कम ही उम्मीद करनी चाहिए। वो अकेली पड़ गई है।
इधर बिहार में भी बड़ा राजनीतिक उथल पुथल होने की बात कही जा रही है। जेडीयू व राजद एक हो सकते हैं और नीतीश विपक्षी एकता के लिए बनने वाले महागठबंधन के संयोजक हो सकते हैं। बेंगलुरु की बैठक में इस निर्णय पर मुहर लग सकती है।
सीटों के वितरण का फार्मूला उसके बाद बनेगा। बंगाल में जहां मेजर सीट टीएमसी को मिलेगी वहीं यूपी में सपा के पास अधिक सीट रहेगी। कांग्रेस ने सीटों पर अपनी वर्किंग भी कर ली है। उसके बाद ही एकता पर सहमति बनाई। कांग्रेस इस बार के आम चुनाव में भाजपा को पूरी तरह से घेरने की कोशिश में त्याग के लिए भी तैयार है। ये विपक्षी दल लोकसभा की 328 सीटों पर असर डालती है जिसमें से 165 सीट अकेले बीजेपी के पास है। उन पर एकता के लिए बना गठबंधन खास फोकस कर रहा है। वहां भाजपा के सामने एक उम्मीदवार उतारने की रणनीति है।
इसलिए 13 – 14 जुलाई को होने वाली बेंगलुरु बैठक को आम चुनाव के नजरिये से खास माना जा रहा है। भाजपा भी इस बैठक पर नजर रखे है। उसे भी नई रणनीति पर काम करना होगा। उसी के तहत वो समान नागरिक संहिता कानून का मुद्दा लेकर आई है। कुल मिलाकर विपक्ष यदि एक होकर उतरा तो भाजपा को मुश्किल तो आयेगी।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार