तमिलनाडु से आरम्भ हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु, केरल,कर्नाटक, आंध्रा, तेलंगाना, होते हुए आज महाराष्ट्र में प्रवेश करेगी। महाराष्ट्र में विपक्षी महागठबंधन ने भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए बनाया था। इस महागठबन्धन में कांग्रेस के अलावा शिव सेना, एनसीपी भी शामिल थी। बाद में शिव सेना से एकनाथ शिंदे गुट अलग हुआ और उसने उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा भाजपा के साथ सरकार बना ली।
शिव सेना पर वर्चस्व को लेकर ठाकरे व शिंदे के गुट को लेकर लड़ाई चली। आखिरकार दोनों को अलग अलग चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम मिला। शिव सेना की टूट के बाद अंधेरी विधानसभा का उप चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस व एनसीपी ठाकरे गुट के साथ रहे। पहले तो शिंदे गुट ने उप चुनाव में बड़े दावे किए मगर बाद में ये सीट भाजपा को दे दी। भाजपा ने उम्मीदवार घोषित कर बड़े जुलूस के साथ अपना पर्चा दाखिल किया, जुलूस में शिंदे गुट व भाजपा के बड़े नेता शामिल हुए और शक्ति प्रदर्शन किया। ठाकरे ने भी जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया। हार की संभावना देखने के बाद शरद पंवार व राज ठाकरे के आग्रह पर भाजपा ने उम्मीदवार वापस ले लिया। ये उद्धव ठाकरे की पहली मोरल जीत थी। क्योंकि महागठबन्धन के साथी उनके सपोर्ट में रहे, सत्ता जाने के बाद भी उनमें बिखराव नहीं हुआ। कल आये अंधेरी के चुनाव परिणाम में ठाकरे गुट की लटके ताई विजय हुई मगर दूसरे स्थान पर नोटा के वोट रहे। ठाकरे गुट के नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा व उनके सहयोगियों पर आरोप भी लगाया कि नैतिक राजनीति उनका दिखावा है, वे मतदाताओं को नोटा दबाने के लिए कह रहे हैं। परिणाम से ये आरोप सत्य भी सिद्ध हुआ। दूसरे नम्बर पर नोटा ही रहा।
एक अच्छा खासा समय गुजर गया सत्ता गये, मगर महाराष्ट्र में महाअगाडी गठबंधन एक है। एक होकर ही आने वाला एमसीडी का चुनाव लड़ने की भी गठबंधन ने घोषणा की है। दूसरी तरफ शिंदे गुट के विधायक आपस में उलझे हुए हैं। इस माहौल के बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र में आज प्रवेश करेगी। एक बार फिर महागठबन्धन की एकता का जनता के सामने परीक्षण होगा। इसमें यदि ये गठबंधन सफल हुआ तो उसका असर एमसीडी चुनाव व अंतर्द्वंद में उलझी शिंदे सरकार भी पड़ेगा।
यात्रा आने से पहले ही शरद पंवार ने सबसे पहले बयान दिया कि एनसीपी यात्रा का स्वागत करेगी। ये बयान असरकारक रहा। उनके साथ ही उद्धव ठाकरे ने भी यात्रा के साथ का ऐलान कर दिया। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इससे ये तो स्पष्ट हो गया कि महागठबन्धन केवल सत्ता पाने के लिए नहीं बना था, भाजपा को सत्ता तक पहुंचने से रोकने के लिए बना था। इसी कारण आज भी इसके सभी दल एक है।
यदि भारत जोड़ों यात्रा में लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं और महागठबन्धन के नेताओं की भागीदारी रहती है तो शिंदे गुट के लिए समस्याएं बढ़ेगी और उसका असर महाराष्ट्र सरकार पर भी पड़ेगा। क्योंकि शिंदे गुट के विधायकों व मंत्रियों की सार्वजनिक टकराहट अब कड़वाहट का रूप ले चुकी है। दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे ने भी विभाजन के बाद अपनी शिव सेना को फिर से संगठन के स्तर पर मजबूत करने में पूरी शक्ति लगा दी है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि भारत जोड़ों यात्रा से काफी राजनीतिक असर होगा। दबा असंतोष भी नया गुल खिला सकता है। जिसका सभी राजनीतिक दलों पर असर पड़ेगा, किसी के लिए सकारात्मक तो किसी के लिए नकारात्मक। एक असर तय है, जो भाजपा पर पड़ेगा। अगले आम चुनाव को लेकर महाराष्ट्र में भाजपा के सामने कड़ी चुनोती जरूर रहेगी। क्योंकि महागठबन्धन एक होकर चुनाव लड़ेंगा तो उसकी राह आम चुनाव में आसान नहीं रहेगी। कांग्रेस व महागठबन्धन के दलों के साथ भाजपा की भी भारत जोड़ों यात्रा पर पैनी नजर है। महाराष्ट्र में पहुंची भारत जोड़ों यात्रा का अच्छा राजनीतिक असर होगा, ये यात्रा के प्रवेश से पहले ही तय हो गया है।

  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
    वरिष्ठ पत्रकार

You missed