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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इन दिनों राजस्थान में है और ये ही प्रदेश कांग्रेस के लिए सबसे ज्यादा चिंता की वजह है। क्योंकि यहां सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट का गुट आमने – सामने है, दोनों के मध्य जुबानी जंग से बड़ी कड़वाहट सार्वजनिक भी है। आलाकमान के पर्यवेक्षक इस राज्य के विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास कराने आये कि निर्णय के लिए आलाकमान अधिकृत है।
मगर विधायक दल दो फाड़ हो गया और अधिकृत बैठक से अलग अधिकतर विधायकों ने बैठक की, अपना निर्णय सुनाया कि सीएम गहलोत को बदलना स्वीकार्य नहीं। आलाकमान पर दबाव के लिए इन विधायकों ने अपने इस्तीफे भी विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिए। जिन पर अभी तक निर्णय नहीं हुआ और भाजपा ये मामला न्यायालय ले जा चुकी है। आलाकमान पर्यवेक्षक बिना बैठक बैरंग लौटे, जिनमे वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल थे।
उस समय ये मैसेज पब्लिक में गया कि कांग्रेस आलाकमान कमजोर है, अनुशासनहीनता के जिन तीन नेताओं को नोटिस दिए गए थे उन पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिससे आलाकमान पर सवाल खड़े हुए। मगर राहुल की यात्रा को सफल करना था इसलिए आलाकमान इस टकराहट और अनुशासनहीनता पर खामोश रहा। महासचिव के सी वेणुगोपाल आये और यात्रा तक बयानबाजी न करने की सख्त हिदायत दे गये, जिसका असर भी दिखा है। तब लगा, कांग्रेस आलाकमान कमजोर नहीं है।
अब यात्रा अपने अंतिम पड़ाव में चल रही है, जिसके कई अवसरों पर गहलोत व पायलट साथ दिखे। दोनों के समर्थकों ने भी जुबान पर ताला लगाया हुआ है। मगर राहुल व उनके साथ चल रहे जयराम रमेश, वेणुगोपाल चुप नहीं है अपितु गुपचुप रायशुमारी कर रहे हैं। राहुल से एक एक करके विधायकों से मिला रहे हैं और राहुल बिना कुछ बोले उनका पक्ष सुन भी रहे हैं। यहां तक कि पायलट गुट के मुखर मंत्री राजेन्द्र सिंह गुडा भी राहुल के साथ चले और बात करते रहे। पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी भी लगातार साथ चल रहे हैं और अवसर पर राहुल से बात भी कर रहे हैं। बयानों से चर्चा में आई दिव्या मदेरणा भी यात्रा में लगातार चल रही है और राहुल से बातें भी कर रही है। गहलोत गुट के लोगों से भी राहुल बात कर रहे हैं। इतना ही नहीं, जयराम रमेश व वेणुगोपाल भी विधायकों से मिल रहे हैं।
कल प्रेस कॉन्फ्रेंस में जयराम रमेश ने साफ कहा कि यात्रा के बाद राजस्थान कांग्रेस मसले पर सार्थक निर्णय लिया जायेगा। साथ ही ये भी कहा कि कांग्रेस का लक्ष्य अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव है। गहलोत व पायलट ने भी समय समय पर प्रेस को यही मुख्य लक्ष्य बताया।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राहुल की यात्रा राजस्थान से निकलते ही आलाकमान प्रदेश के संकट पर ठोस निर्णय लेगा, जिसका आधार विधायकों की राय होगी। ये अभी तक रहस्य बना हुआ कि व्यक्तिगत रूप से विधायकों ने राहुल, जयराम रमेश व वेणुगोपाल को क्या फीड बेक दिया है। मगर ये तय है कि राजस्थान कांग्रेस के संकट पर यात्रा के तुरंत बाद आलाकमान निर्णय लेगा, जो चकित करने वाला भी हो सकता है। गहलोत और पायलट की बॉडी लैंग्वेज से लगता है, दोनों आश्वस्त है। शायद दोनों की इच्छाओं जैसा ही निर्णय होगा। मगर यात्रा के बाद राजस्थान कांग्रेस में बड़े बदलाव का होना तय है। कांग्रेस फिलहाल उत्साहित भी है, क्योंकि उसने सरदारशहर उप चुनाव भी जीता है और दूसरी तरफ भाजपा की जन आक्रोश यात्रा भी असरकारक नहीं रही है। इसी धरातल पर कांग्रेस अगले साल के विधानसभा चुनाव की नींव खड़ा करना चाहती है।

  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
    वरिष्ठ पत्रकार