विपक्षी दल जहां एक होकर अगले आम चुनाव के लिए सीधे मुकाबले की तैयारी कर रहे हैं, वहीं भाजपा बड़े राज्यों के छोटे दलों को तोड़कर एनडीए में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है।
भाजपा ने सरकार में भागीदारी के लिए खुद का त्याग किया और सबसे पहले शिव सेना को तोड़ा। शिंदे गुट अलग हुआ और उनको सीएम पद दिया गया। सरकार बनने के बाद भी भाजपा रुकी नहीं, अब भी लगातार शिव सेना उद्धव को कमजोर करती जा रही है ताकि आम चुनाव में वो बड़ी चुनोती न बन सके। शिव सेना पहले भाजपा के साथ थी तो जीत होती थी, अब भी उद्धव ही समस्या खड़ी कर सकते हैं इसलिए उनको कमजोर करने का सिलसिला रुका नहीं है।
उसके बाद भाजपा ने महाराष्ट्र में राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले शरद पंवार की एनसीपी को तोड़ सरकार में शामिल कर लिया है। भतीजे अजीत पंवार को डिप्टी सीएम व अन्यों को मंत्री बनाया। भले ही खुद को पदों का त्याग करना पड़ा। भाजपा को पता है कि महाअगाडी गठबंधन की धुरी शरद पंवार है, उनको कमजोर करने पर ही आम चुनाव में फायदा होगा। भाजपा लगातार शरद पंवार को कमजोर करती जा रही है। हालांकि सी वोटर के सर्वे के अनुसार भले ही विधायक टूटे हो, मगर जनता अब भी उद्धव की तरह शरद पंवार के साथ है। अब आम चुनाव में पता चलेगा कि इन दोनों दलों को तोड़ने से लाभ हुआ या हानि। फिलहाल तो दोनों क्षेत्रीय दलों को कमजोर कर दिया।
महाराष्ट्र के बाद भाजपा ने सबसे बड़े राज्य यूपी पर ऑपरेशन शुरू किया है। वहां ज्यादा तो नहीं, कुछ सफलता अवश्य मिली है। सपा के साथ व भाजपा के विरोध में रहे ओ पी राजभर को एनडीए में लाने में वो सफल भी हुई है। निषाद वोटों पर भाजपा की नजर है। गृहमंत्री अमित शाह सहित कई नेताओं ने रालोद के जयंत चौधरी पर डोरे डाले ताकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समस्या न आये। मगर हाल फिलहाल तो जयंत राजी नहीं हुए और इंडिया के साथ है। मगर भाजपा अब भी उन पर डोरे डाले हुए है। मायावती व ओवैसी पहले से ही अलग लड़ने का कह चुके है, जो भाजपा को ही फायदा देंगे। अभी भाजपा यूपी के कुछ और नेताओं को अपने पाले में लाने के लिए लगी है। बिसात बिछी हुई है, समय मोहरे तय करेगा।
भाजपा साथ मे दूसरे बड़े राज्य बिहार पर भी आंखें गड़ाए हुए है। जीतनराम मांझी व चिराग को साथ ला चुकी है। पहले लोजपा से पशुपतिनाथ को अलग कर साथ लिया अब चिराग को भी ले लिया। लोजपा के दोनों धड़े अब भाजपा के साथ है। भाजपा लगातार जेडीयू व राजद के विधायकों पर भी डोरे डाल रही है। हालांकि नीतीश व लालू ने अब तक तो अपना किला बचाये रखे है, मगर भाजपा प्रयासरत है।
इन तीन राज्यों में लोकसभा की ज्यादा सीटें है, इसलिए भाजपा फोकस कर रही है। अब क्षेत्रीय दलों को तोड़ने से भाजपा को फायदा होगा या नुकसान, ये तो समय बतायेगा।

  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
    वरिष्ठ पत्रकार