

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इस समय महाराष्ट्र में है और उसके कई राजनीतिक साइड इफेक्ट भी अब सामने आने लग गये हैं। तमिलनाडु में राहुल की इस यात्रा के साथ डीएमके रही। केरल में भी कांग्रेस के सहयोगी साथ चले। अब महाराष्ट्र में भी महाअगाडी गठबंधन के नेता यात्रा में शामिल होकर एक होने का संकेत दे रहे हैं। ये 2024 के आम चुनाव के लिए भाजपा के सामने चुनोती बन खड़े हो रहे हैं।
इस यात्रा से पहले विपक्ष एक होने के कई आयोजन कर चुका है और कांग्रेस की उनमें उपेक्षा भी हुई। यहां तक कि गैर कांग्रेसी दलों को एक करके मोर्चा बनाने का प्रयास हुआ। ममता ने तो कांग्रेस को पूरी तरह से दूर करने की कोशिश की। यही प्रयास तेलंगाना में केसीआर का था। यूपी में अखिलेश ने भी चुनाव के समय कांग्रेस से दूरी रखी।
उस समय भी राजद सुप्रीमो लालू यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, जेडीयू के नीतीश आदि ने उस समय भी कहा था कि कांग्रेस के बिना विपक्षी दलों के गठबंधन की कल्पना संभव व व्यवहारिक नहीं। कुल मिलाकर अनेक विपक्षी दलों ने अपनी एकता से कांग्रेस को दूर रखने की ही कोशिश की। हालांकि नीतीश और लालू ने बिहार के महागठबन्धन में कांग्रेस को साथ रखा और सरकाए में भागीदारी की।
महाराष्ट्र में चुनाव के बाद राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला। शिव सेना के साथ कांग्रेस और एनसीपी आये। भाजपा को महाअगाडी गठबंधन ने सत्ता से दूर किया। ये बड़ा दल होने के बाद भी भाजपा के लिए बड़ी हार थी। लंबे प्रयास के बाद आखिकार शिव सेना का विभाजन हुआ और भाजपा व नये शिव सेना के गुट ने महाअगाडी की सरकार को गिराया। भले ही उसे टूटकर आये गुट के नेता एकनाथ शिंदे को सीएम बनाना पड़ा। इस नई सरकार के बनने पर ये आंकलन किया गया कि महाअगाडी गठबंधन बिखर जायेगा। क्योंकि भाजपा की नजर तो आम चुनाव पर थी, जिसके लिए ही उसने जूनियर पार्टनर बनना स्वीकार किया था। मगर शिंदे सरकार बनने के बाद भी महाअगाडी गठबंधन में शिव सेना के अलावा किसी भी दल के विधायक नहीं टूटे।
अब जब भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र में आई तो महाअगाडी के सभी दल एक साथ दिखे। नांदेड़ में राहुल के साथ एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले शामिल हुई। उनके बाद उद्दव ठाकरे की शिव सेना से आदित्य ठाकरे स्वयं यात्रा में शामिल हुए। यही नहीं, कांग्रेस की सभा मे भी इन दोनों दलों की भागीदारी रही। शरद पंवार और उद्धव ठाकरे स्वास्थ्य कारणों से शामिल नहीं हुए मगर पंवार ने अपनी पुत्री और उद्धव ने अपने पुत्र को यात्रा में शामिल कराया।
ये राजनीतिक घटना दूरगामी असर डालने वाली है। जिसने एक तरफ ये संदेश दिया है कि विपक्षी एकता अब भी सम्भव है वही दूसरा संदेश ये दिया है कि कांग्रेस के बिना विपक्ष की एकता सम्भव नहीं। ये संदेश ही भाजपा के लिए चुनोती बने हैं। जिसका असर आने वाले आम चुनाव पर भी पड़ेगा। क्योंकि महाअगाडी के रहते भाजपा के लिए आम चुनाव में राह आसान नहीं रहेगी।
भारत जोड़ों यात्रा को महाराष्ट्र में उम्मीद से अधिक जनता का साथ मिलने से भी शिंदे गुट और भाजपा चकित है। अंधेरी विधानसभा के उप चुनाव में जहां उद्धव के साथ कांग्रेस और एनसीपी खड़े रहे तो यात्रा में कांग्रेस के साथ भी उद्धव व एनसीपी रहे। अंधेरी में भाजपा को बैकफुट पर आना पड़ा जो महाअगाडी की नैतिक जीत थी।
विपक्ष की एकता पर भारत जोड़ों यात्रा ने नये सिरे से विपक्षी नेताओं को सोचने के लिए मजबूर किया है। ये बात स्पष्ट हो गई कि बिना कांग्रेस के एकता सम्भव ही नहीं। वहीं भाजपा को भी अब अपनी रणनीति में बदलाव करना ही पड़ेगा, उसे अंदाजा हो गया है कि विपक्ष में ज्यादा बिखराव सम्भव नहीं। ये सब कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का असर है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद विपक्ष की राजनीति में नये समीकरण बनेंगे और आम चुनाव में भाजपा के सामने कड़ी चुनोती खड़ी करेंगे।


- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार
