

– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार जयपुर।इस साल के अंत में राजस्थान विधानसभा के चुनाव है और कांग्रेस आलाकमान अब आपसी टकराहट को दूर करने के लिए पूरी स्क्रिप्ट लिख चुका है, उसे कर्नाटक चुनाव के बाद धरातल पर उतारा जायेगा। इसी वजह से अनुशासनहीनता के बयानों के बाद भी आलाकमान ने सचिन पायलट पर कोई कार्यवाही नहीं की है। पायलट के लिए बी प्लान बनाया गया है। राहुल कह चुके हैं कि गहलोत व पायलट कांग्रेस की एसेट है और पार्टी दोनों को खोना नहीं चाहती।
पायलट के सत्याग्रह के बाद राजस्थान की राजनीति एक बार फिर से गर्मा गई थी। प्रभारी रंधावा ने तीखे बयान दिए। इसी बीच पायलट भी दिल्ली पहुंच गये। राहुल से उनकी मुलाकात भी हुई। खड़गे से मिले। उसके बाद प्रभारी रंधावा ने यू टर्न ले लिया और बयान नरम हो गये। कांग्रेस आलाकमान नेताओं से अलग अलग 7 बैठकें सचिन की हुई। कई प्रस्ताव दिए गये। सचिन ने अनुशासन हीनता के नोटिस पाये मंत्रियों पर कार्यवाही न होने की बात उठायी। खुद से किये वादे भी दोहराये। उनके तर्क थे, जिनका जवाब नहीं था।
राहुल और खड़गे से बात के बाद ये तो स्पष्ट हो गया कि सचिन पर कार्यवाही नहीं होगी। मगर होगा क्या, ये खड़गे, राहुल और प्रियंका पर छोड़ दिया। सचिन जयपुर लौट आये और तीखे बयान शुरू कर दिए। मगर इस बार बड़ा बदलाव गहलोत में था। उन्होंने और उनके खेमे के किसी नेता ने पलटवार नहीं किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा ने भी संतुलित प्रतिक्रिया दी। साथ ही पायलट गुट के भी लोग पहले की अपेक्षा कम बोले।
रंधावा ने विधायकों से वन टू वन बात की उसमें पायलट नहीं गए। उनके समर्थकों ने अपनी बात कही जरूर। यहां भी रंधावा व डोटासरा की प्रतिक्रिया संतुलित रही। इसी बीच कर्नाटक के स्टार प्रचारकों की सूची कांग्रेस ने जारी की मगर उसमें पायलट का नाम नहीं था। मगर पंजाब लोकसभा उप चुनाव के प्रचारकों में वे शामिल थे। जाहिर है, आलाकमान व पायलट के बीच संवाद के बाद कुछ स्क्रिप्ट लिखी गई है। उसको अब लागू किया जायेगा।
ये तो अब स्पष्ट है कि विधानसभा के चुनाव गहलोत के नेतृत्त्व में ही लड़े जायेंगे, ये संकेत पहले आलाकमान ने और कल जसरासर के किसान सम्मेलन में रंधावा व भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दे दिए। माना जा रहा है कांग्रेस आलाकमान ने अगले विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में पायलट को शामिल करने की बात पर उनको राजी किया है। इसके अलावा उनको चुनाव व कांग्रेस में कुछ जिम्मेवारी भी दी जायेगी। पायलट स्पष्ट कर चुके हैं कि वे राजस्थान नहीं छोड़ेंगे, इसी तरह की बात पहले गहलोत ने भी कही थी।
माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव पर प्रतिकूल असर न पड़े इसलिए पायलट को आलाकमान ने साधा है। फिर ये भी सत्य है कि राजस्थान में गहलोत व पायलट को साथ रखे बिना पार्टी का जीतना कठिन है। उसी के लिए बी प्लान बनाया गया है। पूर्वी राजस्थान में पायलट इफेक्टिव है और भाजपा के लिए वही क्षेत्र बड़ी परेशानी है। वो गहलोत व पायलट के झगड़े को ज्यादा हवा दे रहे है। माना जा रहा है कि बी प्लान के तहत मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है और संगठन में भी चकित करने वाला परिवर्तन हो सकता है। इसका भी संकेत कल जसरासर किसान सम्मेलन में गहलोत, रंधावा, हुड्डा ने दिया। पूर्व नेता प्रतिपक्ष व किसान, जाट नेता रामेश्वर डूडी ने जोरदार शक्ति प्रदर्शन किया है, जिसे चुनाव अभियान की शुरुआत कहा गया। डूडी पहले तटस्थ थे, पायलट से मधुर संबंध थे। मगर किसान सम्मेलन से ये साफ हो गया कि अब उनके और गहलोत के बीच दूरी नहीं है, आलाकमान के सम्पर्क में तो डूडी पहले से ही है। 10 जनपथ में उनकी पहुंच है। उससे ही लगता है कि राज्य कांग्रेस में बड़ा परिवर्तन होगा। कुल मिलाकर कांग्रेस चुप है मगर अंजान नहीं, कर्नाटक चुनावों के बाद वो मिशन राजस्थान व पायलट के निर्णय लागू करेगी।