

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए कल मतदान होना है। गुरुवार शाम प्रचार का शोर थम गया, मगर घर घर प्रचार तेजी है। अपेक्षाकृत छोटा व पहाड़ी राज्य होने के बाद भी इस बार चुनाव जीतने के लिए भाजपा – कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक रखी है। भाजपा जहां हर पांच साल बाद सरकार बदलने की परंपरा को बदलने की जुगत में है तो कांग्रेस उसी परंपरा को कायम रखने के लिए जोर लगा रही है।
इस छोटे राज्य की स्थापना स्व इंदिरा गांधी ने की थी, उनके निर्णय को उस समय तार्किक नहीं बताया था विपक्षी दलों ने। कांग्रेस नेता उसी भावनात्मक मुद्दे को भुनाने में लगी है। इसी राज्य में प्रियंका गांधी ने अपना घर भी बना रखा है और वे ही यहां चुनाव प्रचार की कमान संभाले हुए थी। जन सभाओं, रैलियों के अलावा उन्होंने पहाड़ों के हर मंदिर में धोक लगाई है। गुरुवार को प्रचार समाप्त होने से पहले कांग्रेस ने हर विधानसभा क्षेत्र में रैली निकाल एक साथ धावा बोला, जिसको देख भाजपा नेता भी चकित थे।
कांग्रेस के प्रचार अभियान में प्रियंका के साथ छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, राजीव शुक्ला, सचिन पायलट, पंजाब के कांग्रेस नेता रहे। मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी एक सभा की। राहुल, सोनिया प्रचार में नहीं रहे। राहुल तो अनवरत भारत जोड़ो यात्रा में है। चकित करने वाली बात ये रही कि प्रचार से जी 23 गुट के नेता आनंद शर्मा दूर ही दिखे। कल इस उपेक्षा पर उन्होंने प्रेस से बात में नाराजगी भी जताई। मगर कहा यही कि राज्य में कांग्रेस वापसी कर रही है। दिवंगत कांग्रेस नेता वीरभद्र सिंह की पत्नी को प्रदेश अध्यक्ष बना कांग्रेस सहानुभूति का भी सहारा लेने के प्रयास किये हैं। अब इन सबका कितना असर होगा, ये समय बतायेगा।
भाजपा ने हिमाचल में पूरी ताकत लगाई क्योंकि ये पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा का गृह राज्य है। उन्होंने यहां पूरा समय दिया। उनके अलावा पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, यूपी सीएम योगी, नितिन गडकरी, अनुराग ठाकुर आदि भी यहां प्रचार की कमान संभाले हुए थे।
दोनों दल अपनी जीत के दावे कर रहे हैं मगर अपने दल के असंतुष्ट उम्मीदवारों से आशंका में भी है। भाजपा लाख कोशिश के बाद भी असंतुष्टों को मैदान से हटा नहीं पाई। कांग्रेस थोड़ा सा सफल रही। ये असंतुष्ट ही अब चुनाव की हार जीत पर असर डालेंगे, ये दिख रहा है।
आप ने पंजाब चुनाव जीतने के बाद यहां जोर शोर से प्रवेश किया मगर चुनाव आते आते वो सुस्त हुई। केजरीवाल गुजरात मे सक्रिय हुए तो यहां से ध्यान हट गया। मगर कुछ विधानसभा क्षेत्रों में आप के दमदार उम्मीदवार है। राजनीतिक विश्लेषक फिर भी आप है, मगर मुकाबला त्रिकोणीय नहीं मानते।
भाजपा चुनावी मैनेजमेंट में माहिर है, इसका भान कांग्रेस को भी है। इसके अलावा उसे पीएम मोदी के करिश्माई नेतृत्त्व पर भी भरोसा है, इसी दम पर वो परंपरा तोड़ फिर से सरकार बनाने के विश्वास से भरी है। वहीं कांग्रेस को जयराम ठाकुर के सत्ता असंतोष से लाभ की उम्मीद है। प्रियंका भाजपा की आक्रामक चुनावी रणनीति से परिचित है इसलिए अंतिम समय तक प्रयास नहीं छोड़ना चाहती। वे स्वयं प्रचार थमने के बाद घर घर वोट मांगने भी जायेगी। यही निर्देश उन्होंने प्रचार में लगे अन्य नेताओं को भी दिया है।
सत्ता विरोधी असर को सभी मानते है और चुनाव रोचक भी इसीलिए बना है। जीत किसी की भी इतनी आसान नहीं लगती, इस बार पहले के चुनावों से कहीं अधिक कड़ा मुकाबला है।


- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘
वरिष्ठ पत्रकार
