-हजारों संत-महात्माओं का होगा आगमन, जन-जन जुटा तैयारियों में
-29 मई को होगा भूमि पूजन, ध्वजारोहण, शाम को बहेगी भजनों की सरिता
बीकानेर,। बीकानेर की पावन धरा पर तुलसी पीठाधीश्वर, पद्मविभूषित जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्यजी महाराज का आगमन होने जा रहा है। परम पूज्य गुरु महाराज श्रीरामदासजी महाराज के सान्निध्य में एवं महामंडलेश्वर श्री सरजूदासजी महाराज की अगुवाई में 19 नवम्बर से 27 नवम्बर तक 108 कुंडीय महायज्ञ, श्रीमद् रामचरित मानस महायज्ञ एवं विराट संत सम्मेलन किया जाएगा। जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्यजी के श्रीमुख से श्रीराम कथा का वाचन होगा। इस संबंध में शुक्रवार को स्टेशन रोड स्थित वृंदावन होटल में प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए महामंडलेश्वर श्री सरजूदासजी महाराज ने बताया कि उक्त सभी आयोजन सुजानदेसर स्थित रामझरोखा कैलाशधाम की सियारामजी गौशाला में होंगे। उक्त आयोजनों से पूर्व 29 मई 2023, सोमवार को सुबह 11:15 बजे ध्वजारोहण, भूमिपूजन एवं रात्रि में विराट भजन संध्या का आयोजन होगा। संत प्रकाशदासजी महाराज एवं नवदीप बीकानेरी द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी जाएगी। इसमें मुख्य रूप से खेड़ापति धाम, सामोद के अखिल भारतीय महामंडलेश्वर श्रीश्री 108 श्री महंत प्रेमदासजी महाराज, श्री खोजी द्वारा जारी अनंत विभूषित त्रिवेशी धाम शाहपुरा के स्वामी श्रीराम रिछपाल जी महाराज, श्री दाऊधाम राजस्थान से अनंत विभूषित श्री जगद्गुरु बाहुबल द्वाराचार्य पीठधीश्वर श्री बलदेवाचार्यजी महाराज, रैवासा धाम से अग्रपीठाधीश्वर स्वामी श्री राघवाचार्यजी वेदान्ती सहित अनेक साधु-संतों का सान्निध्य मिलेगा।
आयोजन से जुड़े अखिलेश प्रतापसिंह ने बताया कि लगभग पांच माह बाद 19 नवम्बर से होने जा रहे इस आयोजन में हजारों संत-महात्माओं का आगमन होगा। खास बात यह है कि धार्मिक आयोजन में जन-जन अपनी भागीदारी निभा रहा है। प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए समाजसेवी शिव अग्रवाल ने बताया कि बीकानेर के समाजसेवियों एवं भामाशाहों के सहयोग से नौ दिवसीय धार्मिक आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं को धर्मलाभ मिलेगा।

-30 मई को कोटधूनी तप की होगी पूर्णाहुति
महामंडलेश्वर श्री सरजूदासजी महाराज का बसन्त पंचमी से गंगादशहरे तक रोजाना तीन घंटे तक कोट धुनि का अनुष्ठान चलता है। यह तप गत 1६ वर्षों से करते आ रहे हैं। लगातार चार माह तक चलने वाले इस तप को 18 वर्षों तक किया जाता है। साधना में मूल रूप से राम नाम के मंत्र का जप किया जाता है। यह तप स्वयं के लिए नहीं बल्कि संसार कल्याण के लिए किया जाता है। इस तप की पूर्णाहुति 30 मई को गंगादशहरे पर होगी।

-9 वर्ष की आयु में भाया बैराग, 16 वर्षों से कर रहे हैं कोटधुनी तप
मात्र 9 वर्ष की आयु में संत-महात्माओं की संगत करने वाले श्री सरजूदासजी महाराज ने अपना अधिकतम समय मथुरा में बिताया। श्रीश्री 108 श्रीश्यामदासजी महात्यागी से दीक्षा ली तथा वृन्दावन विद्यालय के गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण की। उज्जैन महाकुंभ के दौरान 2016 में महामंडलेश्वर की पदवी तथा 2017 में सुजानदेसर स्थित रामझरोखा कैलाश धाम के महन्त पद की गद्दी संभाली। यहा पूज्य गुरुदेव रामदासजी महाराज के मार्गदर्शन व सियारामजी महाराज के आशीर्वाद से निरन्तर सेवा कार्यों व जप-तप में अग्रणी बने रहे। गौसेवा, गौरक्षा, पर्यावरण संरक्षण, जीव दया व जरुरतमंद की सहायता में श्री सरजूदासजी महाराज तत्पर रहते हैं। विशेष रूप से संतों को कोई दुविधा होती है तो महाराजश्री हरसंभव मदद करते हैं। खास बात यह भी है कि रामझरोखा कैलाशधाम में एक साल में करीब 1500 संतों का आगमन होता है। संत समागम, वेद-पुरान व हिन्दू धर्म की जागरुकता पर विमर्श संत-महात्माओं के साथ चलता रहता है।