केंद्र से भी निकाय चुनाव को लेकर रणनीति बनाने को मिल चुकी है नेताओं को हरी झंडी
शिरोमणि अकाली दल से दशकों पुराना नाता टूटने के बाद भाजपा के लिए पंजाब में सबसे पहले चुनौती साल के अंत में होने वाले निकाय चुनाव होंगे। अभी तक भाजपा और शिअद मिलकर चुनाव में किस्मत आजमाते थे। केंद्र भी गठबंधन टूटने से पहले ही प्रदेश के नेताओं को निकाय चुनाव को लेकर रणनीति बनाने की हरी झंडी दे चुका है। 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव को लेकर भाजपा क्या रणनीति बनाती है, यह देखने वाली बात होगी।
अक्तूबर या नवंबर में होने वाले निकाय चुनाव के परिणाम 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पंजाब के रुख को भी बताएंगे। आंकड़ों की यदि हम बात करें तो सूबे की कुल आबादी 27743338 में से 10399146 लोग शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं। अभी तक के हुए चुनावों में यह बात सामने आई है कि भाजपा का अधिकांश कैडर वोट शहरी क्षेत्रों में निवास करता है। इसके साथ ही पंजाब की हिंदू आबादी लगभग 6282072 के करीब शहरी क्षेत्रों में ही रह रही है। कुल हिंदू आबादी का लगभग 70 फीसदी वोट भाजपा के ही खाते में जाता है।
शिअद से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा के लिए यह अच्छा अवसर है। इसे भुनाने के लिए कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर कार्य करने में जुट गए हैं। विधानसभा से पहले होने वाले निकाय चुनाव से पार्टी को काफी मजबूत आधार भी मिलेगा।