कोविड-19 महामारी में आई.एफ.डब्ल्यू.जे ने प्रधानमंत्री को भेजा मांग -पत्र

केंद्र को राज्य सरकारों के साथ मिलकर पत्रकारों की विभिन्न राज्यों में आर्थिक पैकेज की राशि को समान करने की मांग भी उठाई

नई दिल्ली,(दिनेश शर्मा “अधिकारी “)। इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट के महासचिव परमानंद पांडे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कोरोना समय में पत्रकारों को फ्रंटलाइन योद्धा के रूप में दर्जा देकर कोरोनावायरस से दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को केंद्र और राज्य को मिलकर आर्थिक पैकेज की राशी को समान करने का अनुरोध भी किया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 3 मई 2021 को प्रेषित पत्र में इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट आई एफ डब्ल्यू जे के महासचिव परमानंद पांडे ने कहा कि विभिन्न मीडिया संगठनों के लिए काम कर रहे सैकड़ों पत्रकारों ने कोरोना समय के दौरान अपने कर्तव्यों की पालना करने में अपना जीवन खो दिया है कोरोना की दूसरी लहर में अधिक पत्रकार मारे गए हैं। उनमें से कई तो फ्रीलांसर भी हैं, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट और तस्वीरों द्वारा समाज के लिए उल्लेखनीय सेवा प्रदान की है। सर्व विदित है कि जिन संगठनों में उन्होंने काम किया है, वे काफी हद तक उनके परिवारों को किसी भी तरह की वित्तीय सहायता देने में विफल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनके परिजनों को इस राष्ट्रीय महामारी के दौर में लिए अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।

पत्रकारिता करते हुए हुए कई पत्रकार हताहतों की संख्या सभी धाराओं में हुई है, चाहे वह प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या वेब हो। कुछ मीडिया संगठन शोषण के अतीत से ही स्वामी हैं। वे पत्रकारों को ’स्ट्रिंगर्स’ के रूप में काम लेते रहते हैं और उन्हें उचित नियुक्ति पत्र से भी वंचित रखते हैं। जब उनके साथ कुछ अनहोनी होती है, तो वे उन्हें अपना कर्मचारी मानने से इंकार कर देते हैं। इस प्रकार, ऐसे पत्रकारों को सरकार की तरफ से भी कोई वैधानिक लाभ भी नहीं मिल पाता हैं; न तो भविष्य निधि, और ना ही ग्रेच्युटी और तो और या यहां तक कि पीएफ-लिंक्ड पेंशन नहीं मिल पाती है । केंद्र और राज्य की सरकारें भी उन पत्रकारों के परिवारों की मदद के लिए आगे नहीं आती हैं।

अब कोरोना के चरम पर, कुछ राज्य सरकारों ने हमारी मांग परविचार किया है उन परिवारों को कुछ पूर्व अनुदान राशि की घोषणा की जाएगी, जिन्होंने कोरोना महामारी के कारण अपनी जान गंवाई है, लेकिन यह राशि कम है,साथ ही यह राशी केवल उन मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए है जो सरकार के रिकॉर्ड में है या संस्था ने उनको अपना एंप्लोई मान रखा है इसके अलावा फील्ड में जिला एवम पंचायत स्तर पर वह स्ट्रिंगर के रूप में काम में लेते है। जिनका मीडिया संस्थान कोई रिकार्ड संधारित नहीं करते हैं उनको केवल उस क्षेत्र की न्यूज़ और घटनाओं की जानकारी देने के लिए खबरें भेजने के लिए मौखिक/ अस्थाई रूप से रखा जाता है। कई मीडिया व्यवसाई घरानों के पत्रकार तो विभिन्न राज्यों में मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई को अपने-अपने राज्यों में लड़ रहे हैं जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना संस्थानों के प्रभाव की वजह से आज तक नहीं हो पाई है जिस जिले स्तर पर श्रम विभाग में कुछ ही पत्रकारों को लेबर कोर्ट से आदेश के रूप में न्याय मिला है लेकिन संस्थानों ने वह पैसा ना तो न्यायालय में जमा कराया है ना पत्रकारों को खाते में दिया है। बल्कि संस्थानों ने श्रम न्यायालय के आदेश की अपील करके और उसे और लंबित कर दिया है । जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आदेश के मुताबिक अपने क्षेत्र के श्रम न्यायालय में पत्रकारों को अपने वेज बोर्ड की मांग करते हुए मुकदमा दर्ज कराना होता है ऐसे में मीडिया व्यवसायिक घराने पत्रकारों के साथ कोई अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं, ऐसे में देश भर में सहायता की राशि भी एक समान नहीं है। उदाहरण के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान में पांच लाख, जबकि ओडिशा सरकार ने रुपये की थोड़ी सम्मानजनक राशि घोषित की है। मृत पत्रकारों के परिवार को 15 लाख रुपये दिए जाएंगे। इसलिए आपसे अनुरोध करते हैं इंडियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (IFWJ) की ओर से “पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स ” के रूप में माना जाए, क्योंकि कोरोना के समय में सूचनाओं को पंचायत से तहसील,जिला एवम् राष्ट्र स्तर पर केन्द्र सरकार तक पहुंचा रहा है। किसी भी छोटी घटना को उसमें राष्ट्रीय स्तर तक उस खबर को घटना को पहुंचाना तो फील्ड का पत्रकार ही कर पाता है जो संस्थानों में केबिन में बैठे उच्च वेतन भोगी भी नहीं कर सकते है। अपने जीवन के जोखिम पर सूचना का प्रसार करने के लिए वे जो सेवाएं प्रदान करते हैं, वे अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले किसी भी ” कोरोना योद्धा ” से कम नहीं हैं। उनके परिवारों को देश भर में समान रूप से 50,0000 / (पचास लाख) का भुगतान किया जाना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकारों की हिस्सेदारी भी निर्धारित की जा सकती है ताकि उनके परिवारों को सुगम भुगतान के रास्ते में कोई बाधा न आए। आज ” विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस ” के अवसर पर पत्रकारों के लिए एक उचित श्रद्धांजलि होगी, जो हर साल 3 मई को दुनिया भर में तीस से अधिक वर्षों के लिए मनाया जा रहा है।