प्रस्तुत कर्ता : हरप्रकाश मुंजाल,

अलवर ।प्रस्तुत कर्ता : हरप्रकाश मुंजाल, अलवर ।
अलवर के वरिष्ठ पत्रकार श्री हरीश जैन जी को पत्रकारिता के क्षेत्र में करीब 45 वर्ष के हो गए हैं ।वे निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता कर रहे हैं । वे किसी तरह के विवादों से कोसो दूर है । वे ना कॉउ से दोस्ती ना कॉउ से बेर में विश्वास रखते हैं । उन्होंनेसन्1975 मेें पत्रकारिता शुरू की और कुछ साप्ताहिक समाचार पत्रों के माध्यम से अपना लेखन कार्य शुरू किया। आपात काल खत्म होते ही 1978 में अपना पाक्षिक समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया। समाचार पत्र का नाम देशाटन पाक्षिक था जो करीब डेढ़ साल तक चला।
1980 में वीर अर्जुन समाचार पत्र मेें संवाददाता बने
-1981 से 82 मध्य तक दैनिक नवज्योति में अलवर संवाददाता के रूप में कार्य किया।इसी दौरान अलवर से प्रकाशित राजस्थान टाईम्स में सिटी रिपोर्टर के रूप में अपना कार्य शुरू करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने कदम आगे बढ़ाये । सन् 1983 में दिल्ली से पंजाब केसरी का प्रकाशन शुरू होने के साथ उसके संवाददाता बन गए ।

-1983 से लगातार पंजाब केसरी में रहते हुए 15 मार्च 2013 को अलवर जिले के लिये पंजाब केसरी के ब्यूरो चीफ पद पर आसीन हुए।
-पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करते हुए हरीश जी कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़ते रहे। इनके अलावा वे अलवर जिला पत्रकार संघ में सचिव से लेकर विभिन्न पदों पर रहै । वे दिगम्बर जैन महासमिति के संभाग प्रचार मंत्री तथा जैन चिकित्सालय बलजी राठौड़ की गली में उप सचिव पद पर रहे। 7 सितम्बर 2019 को श्री दिगम्बर जैन अग्रवाल पंचायती मंदिर के सचिव पद का कार्यभार संभाला।शराब विरोधी आंदोलन हो या श्मशान विकास हो या फिर मांस का विरोध इन सभी क्षेत्रों में ये सक्रिय रूप से जुड़े रहे।
-सामाजिक कार्यो के साथ-साथ धार्मिक क्षेत्र में भी इनकी रूचि रही और ये राजस्थान टाईम्स के सम्पादक श्री रामकुमार राम जी और उनके पुत्र श्री ओमप्रकाश जी की विशेष प्रेरण इनके जीवन में रही। मुनि श्री सुधासागर जी, श्री ज्ञान सागर जी, श्री वसुनन्दी जी, श्री पुलक सागर जी, श्री तरूण सागर जी, श्री प्रमुख सागर जी आदि संतो का इन्हें आशीर्वाद रहा ।

-पत्रकारिता क्षेत्र में रहते हुए शराब जैसे व्यसनों से अपनी दूरी बनाये रखी और स्वाभिमानी जीवन रखा। हरीश जैन का जीवन यूं तो कोरे कागज की तरह रहा है। ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर की पद्वति पर इन्होंने अपनी पत्रकारिता का फर्ज निभाने का प्रयास किया लेकिन जब-जब भी पत्रकारिता पर या इनके निजी जीवन पर अफसरशाही हावी हुई तो आईपीएस से लेकर आईएएस से करारा जवाब देकर अपने स्वाभिमान को बरकरार रखा। इन्होंने कभी किसी अफसर से मिलने के लिये उन्हें पर्ची नहीं भिजवाई और अगर कोई अफसर पर्ची मंगाने के लिये दबाव डालता तो उसके अर्दली को पर्ची देकर वापिस आ जाते थे । जब श्री सुनील अरोड़ा अलवर जिला कलेक्टर थे तो इन्होंनेराजस्थान टाईम्स में एक सम्पादकीय जन समस्याओं को लेकर लिखा उसे पढक़र जन सम्पर्क कार्यालय से स्बर्गीय श्री जगदीश गोठडिय़ा जो सहायक जनसम्पर्क अधकारी थे, ने सम्पर्क किया कि कलेक्टर साहब ने आपको सुबह 9 बजे अपनी आवास पर बुलाया है, ये ठीक समय पर वहाँ पहुच गएऔर श्री सुनील अरोड़ा जी इन्हें जो मुझे सम्मान दिया वे इनके लिये अविस्मरणीय है।
इनकी जिन्दगी में कई ऐसे लम्हे आये जब सिटी रिपोर्टर का फर्ज निभाते हुए सरकारी अस्पताल में भर्ती गरीब मरीजों को दवा से लेकर भोजन तक का नि:शुल्क इंतजाम करते रहे । इस कार्य में इन्हें डॉ. सुरेन्द्र जैन जी का भी
विशेष सहयोग और प्रेरणा मिलती रही ।

वे हमेशा मदद के लिए तैयार रहते । डॉ सुरेंद्र जैन जी बड़ी सादगी से पेश आते ।और हर सम्भव मदद करते । इनके योगदान को कभी नही भुलाया जा सकता है ।
श्री हरीश जी इन दिनों स्वास्थ्य नासाज है । ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य लाभ दे ऐसी कामना के साथ । आप दीर्घायु रहे । आपके स्वास्थ्य जे लिए मंगल कामना ।