बीकानेर /24फरवरी। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के माउंट आबू की राजयोगिनी विख्यात गीता प्रवचनकर्ता ब्रह्माकुमारी उषा दीदी ने रविवार को तीन दिवसीय प्रवचन माला के दूसरे दिन वेटरनरी विश्व विद्यालय के प्रेक्षागृृह में कहा कि परमात्मा स्वरूप व गीता के गूढ़ रहस्यों को समझे व जाने तथा उसके अनुसार जीवन बनाएं। प्रवचन माला के अंतिम दिन सोमवार को शाम पांच बजे वेटरनरी विश्व विद्यालय के प्रेक्षागृृह में भगवद दर्शन का वास्तविक स्वरूप विषय प्रवचन होंगे।
उन्होंने भगवद्गीता के विभिन्न अध्यायों का वर्णन करते हुए कहा कि गीता ज्ञान मन को शक्ति देता है और परमात्मा के प्रति निष्काम भक्ति जागृृत करता है। मानसिक विकृृतियों व कमजोरियों को दूर कर अविनाशी आत्मा के चेतन स्वरूप को प्रकट करता है। उन्होंने कहा कि सारे वेदों व उप निषदों के सार गीता में है। गीता का ज्ञान स्वयं भगवान के श्रीमुख से सभी आत्माओं तक पहुंचा है। श्रीमद््भगवद गीता में एक भी बार हिन्दू या अन्य किसी धर्म-मजहब का शब्द नहीं है। इसलिए यह धर्मशास्त्र सम्पूर्ण मानव जाति के लिए है। जल की तरह हमारी चितवृृतियों का कोई आकार नहीं उसको सकारात्मक सांचे में ढालने पर जीवन में अमृृत तत्व प्राप्त होता है, वहीं चितवृृतियों को नकारात्मक सांचे में ढालने पर क्रोध व अन्य बुराइयों हम ग्रसित हो जाएंगे। मोहवश नकारात्मक सांचे में चितचृृति को डालने से निराशा, हताशा,क्रोध, लोभ, ईष्या व नफरत के अवगुण आते है तथा जीवन नरक सा हो जाता है। वर्तमान में जीवन में स्थिति परिस्थ्तिि में मानसिक स्थिति को संभालने के लिए परमात्म चिंतन करें तथा अपनी चित वृृतियों को सही सांचे में ढाले। नकारात्मक सोच व विचार को त्याग कर सकारात्मक सोच को विकसित करें।
उन्होंने कहा कि नकरात्मकता से जीवन कठिन हो जाता है। नकारात्मक विचार वाला खुद परेशान होता है तथा दूसरों को परेशान करता है। उसके जीवन की गुणवता खत्म हो जाती है। हमेशा व्यक्ति को आसुरी वृृतियों पर नियंत्रण कर परमात्मा में चितवृृति को लगानी चाहिए। बुरे कर्मो, विषय विकारों से दूर रहकर अपने अच्छे कर्मों व पुण्यों पर आत्म विश्वास रखें । पुण्यों के अच्छे कर्म जीवन कवच बनते है तथा हर परिस्थिति में व्यक्ति को बचाते है। व्यक्ति को पुण्य और, दुआओं के खाते को मजबूत बनाने का प्रयास करना चाहिए। विकारों व नकारात्मकता को छोड़कर सकारात्मक सोच, सेे प्रभा मंडल में निखार आएगा। जीवन जीने का रहस्य भगवान बताते है कि सकारात्मता से अच्छी घटनाएं व नकारात्मकता से बुरी घटनाएं जीवन में आएगी। उन्होंने कहा कि आत्मा अविनाशी व जीव विनाशी है। सांसार व सांसारिक वस्तुएं बदलने वाली तथा नष्ट होने वाली है। मानव को अपना स्वधर्म को निभाना चाहिए। मानव के स्वधर्म में रहने पर स्थिति-परिस्थिति परेशानी नहीं आएगी। मनुष्य शरीर पंच तत्वों से बना है । शरीर में व्याप्त चेतन आत्मा सतोगुणी है। ज्ञान,सुख, शांति, प्रेम, पवित्रता, आनंद व शक्ति आदि सतोगुणों को विकसित करें।
इन्होंने किया दीप प्रज्जवलन- प्रवचनमाला के प्रारंभ मंें बी.के. कमल, बी.के.उषा, डाॅ. एल.एन.अग्रवाल, डाॅ. राजेश धूड़िया, डाॅ दीपिका धूड़िया,एडवोकेट हरीश मदान, श्रीमती सुनीता गौड़, पुष्पा गोयल, एस.के. बंसल, डाॅ.एन.के.पारीक आदि ने किया।